दुनिया के कई धर्मों में मृत्यु के बाद शव के अंतिम संस्कार की परंपराएं अलग-अलग होती हैं । हिंदू धर्म में भी शव के अंतिम संस्कार को लेकर विशेष परंपराएं हैं । हिंदू धर्म में मृत्यु को जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा माना जाता है, और इसे एक यात्रा के रूप में देखा जाता है। मृत्यु के बाद शव का अंतिम संस्कार करना हिंदू धर्म में बहुत जरूरी माना जाता है । जैसे हिंदू धर्म में मौत के बाद शव को जलाने की परंपरा है तो ईसाई और मुस्लिम धर्म में शवों को दफना दिया जाता है ।
हालांकि कुछ देशों में अंतिम संस्कार के नियम अजीबोगरीब है । चलिए जानते हैं । दक्षिण अमेरिका की यानोमानी जनजाति की अंतिम संस्कार की परंपराएं वाकई में बेहद अजीब और अलग हैं । यह जनजाति, जिसे यानम या सेनेमा के नाम से भी जाना जाता है, मुख्य रूप से वेनेजुएला और ब्राजील के जंगलों में रहती है । यानोमानी लोग आधुनिक सभ्यता से बहुत दूर हैं और उनकी संस्कृति, रिवाज और परंपराएं पश्चिमी दुनिया से काफी अलग है ।
शव की राख का सूप बनाकर पीते है लोग
द गार्जियन सहित कई इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एको एंडोकैनिबेलिज्म के रूप में जानी जाने वाली यह परंपरा अत्यधिक विचित्र है । जब कोई सदस्य मरता है, तो उसकी लाश को जलाया जाता है, और फिर उसके शरीर की राख को एकत्र किया जाता है । यह राख एक प्रकार का ‘ सूप’ बना कर, मृतक के परिजनों और रिश्तेदारों द्वारा पी ली जाती है । यानोमानी जनजाति के लोग इस क्रिया को इसलिए करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि इस तरह से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है और उसके शरीर के तत्वों को पुनः आत्मसात कर लिया जाता है ।
शव 30 से 40 दिनों तक ढक दिया जाता है
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब यानोमानी जनजाति का कोई सदस्य मर जाता है, तो पहले शव को पेड़ों के पत्तों और अन्य प्राकृतिक सामग्री से ढक दिया जाता है। शव को इस तरह से ढकने का उद्देश्य उसे पूरी तरह से प्रकृति से जुड़ा हुआ रखने का होता है, ताकि मृतक के शरीर के तत्वों का सही तरीके से निपटारा किया जा सके । यह शव 30 से 40 दिनों तक उसी अवस्था में रखा जाता है, ताकि परिवार के लोग और समुदाय के सदस्य शोक मनाने के बाद इसे अंतिम संस्कार के लिए तैयार कर सकें ।
क्यों किया जाता है इस परंपरा का पालन ?
यानोमामी जनजाति की परंपराओं में शवों को जलाने के बाद राख का सूप पीने की प्रक्रिया को समझने के लिए उनके आध्यात्मिक विश्वासों को समझना बेहद जरूरी है । यानोमामी लोग मानते हैं कि मृत्यु के बाद, मृतक की आत्मा को शांति तभी मिल सकती है, जब उसके शरीर के हिस्सों को उसके रिश्तेदार या परिवार के लोग खा लें । यह विश्वास उनके लिए मृतक के साथ आध्यात्मिक संबंध बनाए रखने और उसकी आत्मा को अगले जीवन की यात्रा के लिए तैयार करने का एक तरीका है ।
साभार जी न्यूज