
(सलीम रज़ा)
हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का माध्यम है, बल्कि यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं और हमारी धरती किस प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रही है। यह दिवस वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदमों की समीक्षा करने, लोगों को प्रकृति के महत्व को समझाने और भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, सुरक्षित और स्थायी पर्यावरण सुनिश्चित करने की प्रेरणा देता है।
पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है। प्रकृति हमें हवा, पानी, भोजन, ऊर्जा, औषधियाँ और रहने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। पेड़-पौधे न केवल जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, बल्कि वे वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को भी अवशोषित करते हैं। नदियाँ जीवन का स्रोत हैं, समुद्र जैव विविधता का घर हैं, पहाड़ जलवायु को नियंत्रित करते हैं और पृथ्वी की सुंदरता को बढ़ाते हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि आज हम इन्हीं प्राकृतिक स्रोतों का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या, प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग और असंतुलित जीवनशैली ने पर्यावरण को गंभीर संकट में डाल दिया है।
वर्तमान समय में दुनिया को अनेक पर्यावरणीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वायु प्रदूषण ने शहरों की हवा को इतना जहरीला बना दिया है कि लोग सांस की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। जल प्रदूषण के कारण नदियाँ और तालाब मर रहे हैं और जलजीव विलुप्त होने की कगार पर हैं। वनों की कटाई के कारण वन्यजीवों के आवास नष्ट हो रहे हैं और जैव विविधता तेजी से घट रही है। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाएँ जैसे सूखा, बाढ़, तूफान और बेमौसम बारिश आम हो गई हैं। समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिससे तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के जीवन और अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
इन समस्याओं का समाधान केवल सरकार या पर्यावरण संगठनों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हम सभी की साझी जिम्मेदारी है। प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना होगा कि छोटा सा कदम भी बड़ा परिवर्तन ला सकता है। हमें अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव लाने होंगे, जैसे प्लास्टिक का कम उपयोग, कागज की बर्बादी रोकना, बिजली और पानी की बचत करना, पुनर्चक्रण को अपनाना और सबसे महत्वपूर्ण, अधिक से अधिक पेड़ लगाना। वृक्ष न केवल पर्यावरण को शुद्ध करते हैं, बल्कि वे हमें छाया, फल, लकड़ी और अनेक औषधीय गुण भी प्रदान करते हैं। एक पेड़ लगाने का अर्थ है सैकड़ों जीवों को जीवन देना।
बच्चों और युवाओं को पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा देना आवश्यक है क्योंकि यही भावी नागरिक हैं। विद्यालयों में वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान, पर्यावरण पर निबंध प्रतियोगिता, जल संरक्षण संबंधी गतिविधियाँ और हरित अभियान जैसी पहलें पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा कर सकती हैं। साथ ही, मीडिया, सोशल मीडिया और अन्य संचार माध्यमों को भी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। फिल्मों, डॉक्यूमेंटरीज़ और विज्ञापनों के माध्यम से भी पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया जा सकता है।
इस दिन का उद्देश्य केवल एक आयोजन तक सीमित नहीं होना चाहिए। यह एक चेतावनी है, एक अवसर है – खुद को बदलने का, अपने व्यवहार को सुधारने का और प्रकृति से दोबारा जुड़ने का। पर्यावरण संरक्षण का कार्य आज की आवश्यकता ही नहीं, बल्कि यह मानव जाति के अस्तित्व से जुड़ा प्रश्न है। जब तक हम प्रकृति को बचाने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से प्रयास नहीं करेंगे, तब तक स्थायी विकास की कल्पना करना भी व्यर्थ होगा।
प्रकृति हमें हमेशा देती रही है – बिना कुछ लिए। अब समय आ गया है कि हम भी उसे कुछ लौटाएं। हमें अधिक संवेदनशील बनना होगा, अधिक जिम्मेदार बनना होगा और अधिक जागरूक बनना होगा। धरती हमारी मां के समान है, और हमें उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा हम अपनी मां के साथ करते हैं। पर्यावरण दिवस केवल एक तिथि नहीं है, यह एक चेतना है, एक आवाज है जो कहती है – अब भी समय है, जागो और कुछ करो।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम पृथ्वी को अपने पूर्वजों से विरासत में नहीं, बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ियों से उधार में लेते हैं। इसलिए इस कर्ज को चुकाने का सबसे अच्छा तरीका है – धरती को पहले से बेहतर बनाकर अगली पीढ़ियों को सौंपना। यही विश्व पर्यावरण दिवस का सबसे सच्चा संदेश और सबसे गहरा संकल्प होना चाहिए।