
जैसलमेर से जोधपुर जा रही एक निजी बस में अचानक आग लगने से 21 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और 15 यात्री गंभीर रूप से झुलस गए। हादसा जैसलमेर-जोधपुर राजमार्ग पर सेना के युद्ध स्मारक के पास हुआ। बस दोपहर करीब तीन बजे जैसलमेर से रवाना हुई थी, लेकिन कुछ ही मिनटों में इसके पिछले हिस्से से धुआं निकलने लगा। चालक ने बस को सड़क किनारे रोका, लेकिन देखते ही देखते आग ने पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया। स्थानीय लोग और सेना के जवान तत्काल मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य शुरू किया, पर आग इतनी भीषण थी कि कई यात्री बाहर नहीं निकल सके।
पुलिस के अनुसार, बस का दरवाजा आग लगने के बाद जाम हो गया था, जिससे अधिकांश यात्री फंस गए। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कैलाश दान ने बताया कि ज्यादातर शव बस की गैलरी में एक-दूसरे के ऊपर मिले, जिससे साफ होता है कि लोगों ने निकलने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा जाम होने से वे बाहर नहीं निकल पाए। कुछ यात्रियों ने खिड़की तोड़कर बाहर कूदकर अपनी जान बचाई।
हादसे के बाद दमकल और पुलिस की टीमों ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। जैसलमेर के जिला पुलिस अधीक्षक अभिषेक शिवहरे ने बताया कि बस से 19 शव बरामद किए गए और 16 घायलों को जोधपुर अस्पताल भेजा गया। एक घायल की रास्ते में मौत हो गई। शवों को डीएनए जांच के लिए जोधपुर भेजा गया है, ताकि उनकी पहचान की जा सके।
पुलिस ने बताया कि हादसे का कारण संभवतः शॉर्ट सर्किट था, हालांकि अन्य संभावनाओं की भी जांच की जा रही है। बस नई थी और यह अपनी चौथी यात्रा पर निकली थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बस के पिछले हिस्से से जोरदार धमाका हुआ, जो संभवतः एसी कंप्रेसर के फटने से हुआ। आग लगने के बाद डीजल, एसी गैस और फाइबर इंटीरियर के कारण लपटें तेजी से फैल गईं। बस में सिर्फ एक दरवाजा था और कोई आपातकालीन निकास नहीं था। खिड़कियों के कांच तोड़ने के लिए भी कोई उपकरण नहीं था, जिससे यात्री फंस गए।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना का संज्ञान लेते हुए तुरंत जयपुर से रवाना होकर रात में जैसलमेर पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने घायलों के इलाज की व्यक्तिगत रूप से समीक्षा की और निर्देश दिया कि सभी घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए। मुख्यमंत्री ने घायलों को जोधपुर पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाने का आदेश दिया। उन्होंने सेना, स्थानीय नागरिकों और राहतकर्मियों के त्वरित सहयोग की सराहना की।
मुख्यमंत्री ने जोधपुर अस्पताल में घायलों से मुलाकात की और डॉक्टरों को निर्देश दिया कि सभी की 24 घंटे निगरानी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने पीड़ित परिवारों को अस्पताल परिसर में ठहरने, भोजन और अन्य सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए। राज्य सरकार ने राहत कार्यों की निगरानी के लिए मंत्री मदन दिलावर को जोधपुर में तैनात किया है।
प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि बस में कोई सुरक्षा मानक लागू नहीं किए गए थे। फाइबर से बने अंदरूनी हिस्सों और स्वचालित दरवाजा-लॉक सिस्टम के कारण आग लगने पर रास्ता पूरी तरह बंद हो गया था। स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने बताया कि बस में आपातकालीन निकास का कोई प्रावधान नहीं था और यही हादसे के बड़े पैमाने पर हताहत होने की मुख्य वजह बनी। प्रशासन ने मृतकों की पहचान और उनके परिजनों तक जानकारी पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जबकि फोरेंसिक टीमों ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र कर जांच तेज कर दी है।