
दिल्ली : लाल किले के पास हुए धमाके के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। कश्मीर घाटी के कई हिस्सों में सेना, सीआरपीएफ, स्थानीय पुलिस और काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट की संयुक्त टीमें सक्रिय हैं। सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक, बीते 48 घंटों में 200 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की गई है। इन अभियानों के दौरान कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, संवेदनशील दस्तावेज़ और संदिग्ध सामग्रियां बरामद की गई हैं। करीब 1500 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा रही है, जिनमें कुछ को हिरासत में लेकर गहन जांच जारी है।
सूत्र बताते हैं कि इन अभियानों का केंद्र उन इलाकों को बनाया गया है जहां प्रतिबंधित संगठनों के नेटवर्क सक्रिय बताए जाते हैं। श्रीनगर, अनंतनाग, बारामूला और डोडा ज़िलों में सुरक्षा बलों की विशेष टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं। कई जगहों पर इंटरनेट पर निगरानी और सोशल मीडिया पर संदिग्ध गतिविधियों को ट्रैक करने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है।
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि दिल्ली धमाके की साजिश के सूत्र कश्मीर तक जुड़ सकते हैं। जांच एजेंसियां यह भी पता लगाने में जुटी हैं कि हाल ही में गिरफ्तार किए गए कुछ संदिग्धों के संपर्क जम्मू-कश्मीर के किन संगठनों से थे। इसी कड़ी में फरीदाबाद की एक यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल पर भी नजर रखी जा रही है, जहां काम करने वाले कई डॉक्टर कश्मीर से हैं। जांच अधिकारी इस पैटर्न को संभावित “व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क” से जोड़कर देख रहे हैं — एक ऐसा तंत्र जिसमें शिक्षित पेशेवरों का इस्तेमाल भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह जांच सिर्फ सुरक्षा दृष्टिकोण से नहीं बल्कि वैचारिक और आर्थिक नेटवर्क को समझने की दिशा में भी अहम है। उनका मानना है कि इस तरह के नेटवर्क भारत के भीतर छिपे हुए तंत्र के रूप में काम करते हैं, जो सीधे हिंसा में नहीं, बल्कि संसाधन, सूचना और प्रचार के माध्यम से अस्थिरता फैलाने की कोशिश करते हैं।
फिलहाल, केंद्रीय एजेंसियां दिल्ली धमाके और कश्मीर में चल रही गतिविधियों के बीच संभावित संबंधों की पड़ताल कर रही हैं। सभी संवेदनशील ठिकानों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है, और आने वाले दिनों में जांच और भी तेज होने की संभावना जताई जा रही है।








