देहरादून: हर इंसान की हसरत होती है कि वो एक छोटा सा आशियाना बनाये । आशियाना बनाने के लिए थेड़ी सी जमीन की जरूरत भी पड़ती है लिहाजा वह जमीन तलाशने में ऐसे लोगों के हत्थे चढ़ जाता है जो उनकी हसरत का इस्तेमाल करके न सिर्फ उनकी गाढ़ी कमाई के पैसों पर हाथ साफ करता है वल्कि उनके आशियान बनाने की हसरत पर भी पानी फेर देता है।
बहरहाल देवभूमि में जहां एक तरफ जमीनों के दाम आसमान से बात कर रहे हैं वहीं जमीनों की खरीद-फरोख्त बढऩे के साथ ही जमीनों से जुड़े विवादों की फेहरिस्त काफी लम्बी है वहीं तमाम मामले अदालतों मे भी लंबित हैं। जमीन के मामलों मे राजनेताओं से लेकर नौकरशाहों तक पर अंगुलियां उठी हैं, इसी को देखते हुए साल 2016 में भ्रष्ट राजनेताओं, नौकरशाहों और उद्योगपतियों की बेनामी संपत्ति पर शिकंजा कसने के लिए सख्त कानून बनाने की बात कही गई थी साथ ही यह भी कहा गया था कि इस कानून को बनाने के लिए जनता से भी सुझाव मांगे जाएंगे और उत्तराखण्ड राज्य में सभी बेनामी संपत्तियों की सूची तैयार की जाएगी।
सरकार ऐसी प्रक्रिया बनायेगी जिससे बेनामी संपत्ति को आसानी से पकड़ा जा सके। कहा ये भी गया था कि बेनामी संपत्ति जब्त करके राज्य सरकार में निहित होगी जिसका इस्तेमाल सरकारी योजनाओं के लिए किया जा सकेगा। लेकिन अफसोस इस बात का है कि सरकार की ये योजना ध्रातल पर नहीं उतर पाई बस यह एक सरकारी बयान बन कर रह गई । इस तरफ से किसी भी पार्टी चाहें कांग्रेस सरकार और फिर भाजपा सरकार किसी ने भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।