उत्तराखण्ड: भले ही कालखण्ड बदला हुआ हो, युग बदल गया हो लेकिन अभी भी कृष्ण-सुदामा की दोस्ती की मिसाल देखने को मिल ही रही है। इस बात में कोई शक नहीं है कि दुनिया में दोस्ती का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता है जो सबसे मजबूत माना जाता है। दोस्ती की कई अनूठी मिसालें अतीत के पन्नों में इस रिश्ते के महत्व का गुणगान करती हैं। आपको बता दें कि ऐसी ही बेमिसाल दोस्ती का जीता जागता नजारा उदाहरण बागेश्वर स्थित एक अस्पताल का है । जहां दोस्ती की मिसाल बने दोनों दोस्त 90 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग थे।
गौरतलब है कि एक मित्र बीमार होकर अस्पताल के बैड पर लेटे थे तो दूसरे मित्र करीब 94 साल की उम्र में 60 किमी का रास्ता तय करके अपने मित्र की कुशलक्षेम के लिए पहुंचे थे। जानकारी के अनुसार 10 साल बाद दोनों मित्रों की मुलाकात हुई तो दोनो इमोशनल हो गये मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे लेकिन आंखों से बहते हुए आंसू दोस्ती की अनूठी मिसाल की कहानी बया कर रहे थे।
आपको बता दें कपकोट के गांव चुचेर के गिजमौटा तोक निवासी प्रयाग दत्त पाठक और बहुली निवासी हिम्मत सिंह पैरा रेजीमेंट में तैनात थे। एक ही रेजीमेंट में तैनाती और एक ही जिले से होने के चलते दोनों में गाढ़ी दोस्ती हो गई। दोस्ती ऐसी कि रिटायर होने के बाद भी जारी रही। रिटायर होने के बाद भी दोनों अक्सर एक दूसरे से मिलते रहते थे लेकिन बढ़ती उम्र के चलते पिछले 10 वर्षों से दोनों की मुलाकात नहीं हो सकी थी।
इस बीच हिम्मत सिंह का स्वास्थ्य खराब हो गया उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। अपने मित्र के बीमार होने की सूचना जब प्रयाग दत्त पाठक को मिली तो वह अपने को रोक नहीं सके। वे अपने बेटे शिक्षक नवीन चंद्र पाठक के साथ अपने मित्र का हालचाल जानने निकल पड़े। घर से मोटर मार्ग की दूरी पांच किमी थी जिसे उन्होंने डोली पर बैठकर तय किया।अस्पताल में काफी देर तक दोनों मित्र एक दूसरे का हाथ थामकर आंसू बहाते रहे।