देहरादून: उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग की दादागिरी का भी जवाब नहीं सालों से टैक्स दिया नहीं फिर भी उत्तराखएड में यूपी बसों के पहिये बिना रोक-टोक दौड़ रहे हैं। है न मजे की बात करोड़ों की हर साल चपत लगने के बाद भी उत्तराखण्ड परिवहन विभाग हाथ् पर हाथ रखे बैठा है। आपको बता दें कि बगैर टैक्स दिए उत्तराखंड में बस संचालन की दादागिरी बरसों से चली आ रही है। गौरतलब है कि 2018 में यूपी और उत्तराखण्ड के दरम्यान परिवहन करार हुआ था वो भी सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गया नतीजा ये हुआ कि बेखौफ होकर बगैर टैक्स दिए बसें उत्तराखण्ड की सीमा में दाखिल हो रही हैं।
आलम यह हैं कि न केवल बढ़ी हुई दरें बल्कि इससे पूर्व से भी कई साल से यूपी रोडवेज टैक्स ही नहीं दे रहा है।
गौरतलब है कि 9 अक्तूबर 2018 को उत्तराखंड और यूपी के बीच परिवहन करार हुआ था। इसमें तय हुआ था कि रोजाना यूपी रोडवेज की बसें उत्तराखंड राज्य की सीमा में 216 मार्ग पर 2472 ट्रिप के साथ कुल एक लाख 39 हजार किमी चलेंगी। इसी तरह उत्तराखंड रोडवेज की बसें यूपी की सीमा में रोजाना 335 मार्गों पर 1725 ट्रिप व दो लाख 52 हजार किमी की यात्रा करेंगी।
इस करार में यह भी तय हुआ कि यूपी रोडवेज की बसें उत्तराखंड में हर माह अपना टैक्स जमा कराएंगी। करार के तहत उत्तराखंड तो हर साल टैक्स जमा करा रहा है लेकिन यूपी ने कई साल से टैक्स जमा ही नहीं कराया। बहरहाल उत्तराखण्ड परिवहन विभाग ने एक बार फिर यूपी परिवहन निगम को पत्र भेजा है। एक जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के सर्वे को देखें तो हर महीने यूपी की 1400 बसें उत्तराखण्ड में आ रही हैं लेकिन यूपी का कहना है कि इनकी संख्या कम है। अब यूपी के रुख से ही साफ होगा कि कितनी बसों का कितना टैक्स मिलेगा। सर्वे से पहले यूपी की ओर से पांच से छह करोड़ सालाना दिए जा रहे थे।
उप परिवहन आयुक्त, परिवहन विभाग के मुताबिक सर्वे के हिसाब से बसों की संख्या और टैक्स की डिमांड यूपी को भेजी गई थी यूपी ने अभी स्पष्ट रुख नहीं दिखाया है फिलहाल हम लगातार टैक्स की डिमांड भेज रहे हैं।
.एसके सिंह, उप परिवहन आयुक्त, परिवहन विभाग