देहरादून: शिक्षा के मंदिर में अस्थायी तौर से शिक्षा दे रहे शिक्षकों के लिए अच्छी खबर नहीं है। अब देवभूमि उत्तराखण्ड में लम्बे अर्से से सरकारी स्कूलों में शिक्षा प्रदान कर रहे शिक्षकों को नियमित होने की आस की डोर टूट चुकी है। आपको बता दें कि अब उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में 21 साल की सेवा देने के बावजूद अस्थायी शिक्षक हिमाचल प्रदेश की तरह नियमित नियुक्ति नहीं पा सकेंगे।
मुख्यमंत्री धामी ने इन शिक्षकों की नियमित नियुक्ति के लिए मुख्य सचिव को कैबिनेट में प्रस्ताव लाने के निर्देश दिए थे। शासन ने यह कहते हुए मना कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के जिस आदेश पर हिमाचल में शिक्षकों को नियमित किया गया नियमानुसार उसे उत्तराखंड में लागू नहीं किया जा सकता।
हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में सेवारत करीब 15 हजार अस्थायी शिक्षकों के खिलाफ सभी याचिकाओं को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में बड़ी राहत दी थी। ऐसे में उच्चतम न्यायालय के इस आदेश के बाद उत्तराखंड में वर्ष 2001 से सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षा मित्रों को भी नियमित होने की आस जगी थी। वे हिमाचल प्रदेश की तरह बिना टीईटी के नियमित नियुक्ति की मांग कर रहे थे।