उत्तर प्रदेशः जल ही जीवन है ये मुहावरा ठीक है लेकिन जब जल ही जहरीला हो जाये फिर क्या करें ? आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के 29 जिलों के गांवों के करीब 25 हजार जल स्रोत प्रदूषित पानी दे रहे हैं। इसमें नल, हैंडपंप सहित दूसरे स्रोत शामिल हैं। इनका पानी पीने लायक नहीं है। इस बात का खुलासातब हुआ जब ग्रामीण पेयजल मिशन के तहत महिला समूहों द्वारा घरों से लिए जा रहे फील्ड टेस्ट किट जांच हुई।
यह अलग बात है कि फील्ड टेस्ट किट से जांच में दूषित पाए गए एक लाख पानी के नमूनों में से हजारों सैंपल लैब से जांच कराने पर सही निकले। अब इन्हें दुरुस्त करने की कार्रवाही की जा रही है। प्रदेश के तमाम जिलों में महिलाओं द्वारा लगातार पानी के नमूने लेकर उनकी जांच की जा रही है। इसके लिए उन्हें फील्ड टेस्ट किट दी गई है। हर जांच के एवज में उनको 20 रुपये दिए जाते हैं।
अब तक वे 28 लाख 15 हजार 976 सैंपलों की जांच कर चुकी हैं। इनमें से 1 लाख 11 हजार 328 जल स्रोतों से लिए गए पानी के नमूने जांच में प्रदूषित निकले। इनकी दोबारा प्रयोगशाला में जांच कराई गई तब इनमें से 24 हजार 869 नमूनों में गड़बड़ मिली। विभिन्न कारणों से इन जल स्रोतों का पानी जहरीला या प्रदूषित था,जिसका प्रयोग पीने या खाना बनाने के लायक नहीं है।
पानी के नमूनों की जांच के यह आंकड़े प्रदेश के 29 जिलों के हैं। इनमें सर्वाधिक खराब स्थिति शाहजहांपुर की मिली है। वहां लिए गए नमूनों में से 10 हजार 781 सैंपलों में गड़बड़ी मिली। मथुरा में 7 हजार 54,सीतापुर में 6 हजार 213,इटावा में 4 हजार 325 जबकि संत कबीर नगर में 3686 जल स्रोत प्रदूषित मिले। जांच में पानी के प्रदूषित होने के प्रमुख कारणों में पाइप में लीकेज,भूगर्भीय जल में गड़बड़ी पाया गया।
जलशक्ति मंत्री,स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि सरकार गांवों में हर घर नल से जल पहुंचाने के साथ ही यह भी सुनिश्चित कर रही है कि हर व्यक्ति को स्वच्छ पेयजल मिले। इसके लिए गांव-गांव पेयजल स्त्रत्तेतों के सैंपल लेकर महिलाएं जांच कर रही हैं। लैब में भी जांच कराई जा रही है। जहां भी सैंपलों में गड़बड़ी मिली है तो तत्काल सुधार के कदम उठाए गए हैं।