भारत सरकार द्वारा संचालित किसान क्रेडिट कार्ड योजना पशुपालन और मत्स्य पालन गतिविधियों के लिए पात्र लाभार्थियों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करती है। पूर्व में किसान क्रेडिट कार्ड का उपयोग कृषि कार्यों से सम्बन्धित गतिविधियों हेतु किया जाता था, परन्तु वर्तमान में किसान क्रेडिट कार्ड योजना द्वारा पशुपालन एवं मत्स्य पालन से सम्बन्धित गतिविधियों हेतु लाभार्थियों को अल्पकालिक ऋण प्रदान किया जाता है। किसान क्रेडिट कार्ड योजना के लिए रू० 1.60 लाख तक किसी भी परिसम्पति को बंधक रखने की आवश्यकता नहीं है। बैंकों द्वारा निर्धारित अवधि में ऋण भुगतान करने पर किसानों से मात्र 04 प्रतिशत ब्याज ही लिया जाता है।
किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत पशुपालकों को एक ए.टी.एम. कम क्रेडिट कार्ड प्राप्त होता है जिसका उपयोग पशुपालकों द्वारा नकदी निकालने के लिये किया जाता है। क्रेडिट कार्ड के माध्यम से पशुपालक पशुपालन से सम्बंधित तात्कालिक आवश्यकताओं से सम्बन्धित जैसे पशुओं हेतु चारा-दाना की व्यवस्था, दवा, उपचार एवं अन्य व्यवस्था आसानी से कर सकता है. और उसे इन कार्यों के लिए धन की व्यवस्था करने में परेशानी नहीं उठानी पड़ती है। इसके साथ ही उच्च ब्याज दरों में किसी साहूकार इत्यादि से धन लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
केसीसी के माध्यम से लिये गये ऋण को 12 माह में किस्तों द्वारा जमा किया जाता है। वार्षिक समीक्षा करें बाद हर साल किसान क्रेडिट कार्ड की अधिकतम सीमा बढ़ाई जा सकती है।प्रदेश के मा० पशुपालन मंत्री श्री सौरभ बहुगुणा जी के द्वारा किये गये अथक एवं विशेष प्रयासों से भारत सरकार द्वारा कुल वितरित किये गये के.सी.सी. की संख्या के आधार पर कुल आवंटित लक्ष्यों के सापेक्ष 77 प्रतिशत लक्ष्यों की प्राप्ति कर देश में प्रदेश को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। वर्तमान में राज्य के 79508 लाभार्थियों को इस योजना से लाभान्वित किया जा चुका है।