पूत/जयपुर : पशुपालन और कृषि भारत के किसानों और गांवों में रहने वाले लोगों की आय और जीवकोपार्जन का प्रमुख साधन होता है। आज भी गांवों में इसी काम को लोग पीढ़ी दर पीढ़ी करते चले आ रहे हैं। हालांकि, वर्तमान समय में शिक्षा और तकनीकी के बढ़ते दायरे और रोजगारों के नए नए अवसरों के कारण लोग पशुपालन कृषि करने वाले लोगों की संख्या में कमी भी आई है। लेकिन, गांवों में आज भी ऐसे लोग और परिवार है जो पशुपालन की परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं।
300 सालों से गाय पाल रहा ये परिवार
जयपुर से 50 किलोमीटर दूर अभयपुरा गांव है। यहां एक नाथ परिवार पिछले 300 सालों से भी अधिक समय से गो-पालन कर रहा है। इस परिवार के 85 साल के मांगीराम नाथ आज भी गायों से जुड़े सभी काम करते हैं। वे बताते हैं कि उनके पिताजी मुकंदा नाथ ने भी 90 सालों तक गाय पालन का काम किया। अब उनकी तीसरे पीढ़ी के उनके पोते पप्पू नाथ भी 40 साल के हो गये और वह भी इसी काम को निरंतर कर रहे हैं और उनके बेटे को भी उन्होंने उसी काम में लगा रखा है।
इस परिवार के सदस्यों काकहना कि हमारा पूरा परिवार हमेशा से गोपालन और सेवा का काम करते चला आ रहा है और आगे भी वह इसी परम्परा को बनाए रखेंगे। अभी नाथ परिवार के पास 30 गाय हैं, जिन्हें वह सुबह 9 बजे घर से ले जाते हैं और जंगल में चराकर उन्हें शाम को घर लाते हैं। इन्हीं गायों के दूध को बेचकर आजीविका चलाते हैं। इसके अलावा खेती भी करते हैं। इस परिवार के सदस्यों का कहना है कि उनके परिवार में लोग नौकरी नहीं करते बस गाय व खेती के जरिए ही पिछले 300 साल से वे परिवार चला रहे हैं
बेसहारा गायों की करते हैं सेवा
मांगीराम नाथ का कहना है कि जब गायों की सेवा करनी ही है तो अपनी क्या और दूसरों की क्या। हमे कोई भी गाय सड़कों, खेतों, बाजारों में भटकती हुई दिखाई देती है तो हम उसे अपने पास लाकर उसकी सेवा करते है और अगर वह बीमार है या चोटिल है तो हम उसका इलाज भी अपने स्तर पर करते हैं। जिससे सड़क पर भटने वाली गायों को भी एक निश्चित स्थान समय पर पानी, चारा मिलता हैं जिससे उनकी सेहत भी ठीक रहती है।
गाय के दूध से पलता है परिवार
मांगीराम नाथ बताते हैं कि गाय के दूध से ही उनके जीवन जलता है वह गायों से से प्रतिदिन
70 किलो दूध प्राप्त करते हैं। गाय के दूध को डेयरी पर और खुले रूप में बेचकर वह अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। मागी लाल का यह भी कहना है कि उनके सेहत में भी गाय के दूध का ही योगदान है कि 85 साल की उम्र होने के बावजूद वह आज भी पूरी तरह स्वस्थ हैं और उन्हें कोई बीमारी नहीं है।