देहरादून : राजधानी देहरादून की प्रमुख नाट्य संस्था मेघदूत द्वारा रविवार को रिस्पना पुल के निकट मीनाक्षी गार्डन, हरिद्वार बाय पास में गोस्वामी तुलसीदास लिखित रामचरित मानस के पंचम सोपान पर आधारित नाटक “भय बिनु होई न प्रीति” का मंचन किया गया। उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने दीप प्रज्वलित कर नाटक का शुभारंभ किया।खचाखच भरे हॉल में आयोजन के लिए रंगकर्मी एस पी ममगाई को बधाई देते हुए मुख्य अतिथि श्री उनियाल ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने भारतीय चेतना को विपरीत परिस्थितियों में दिशा दी थी, उसी परंपरा को ममगाई जी जैसे लोग आगे बढ़ा रहे हैं।
भय बिनु होई न प्रीति का नाट्य रूपांतर, संपादन और निर्देशन एस पी ममगाई ने किया जबकि संगीत आलोक मलासी ने दिया।रामचरित मानस के पंचम सोपान सुंदर काण्ड पर आधारित इस नाट्य प्रस्तुति को लम्बे समय तक याद रखा जाएगा।नाटक में शिव की भूमिका सुनील तंवर ने निभाई जबकि पार्वती का अभिनय सपना गुलाटी ने किया। नाटक के केंद्रीय पात्र राम का शानदार अभिनय सिद्धार्थ डंगवाल ने अपने नाम के अनुरूप किया जबकि सीता की भूमिका मिताली पुनेठा ने निभाई। इसी तरह लक्ष्मण की भूमिका यशपाल कैंतुरा, हनुमान की विजय डबराल ने शानदार तरीके से निभाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। रावण की भूमिका मंझे हुए कलाकार अनिल दत्त शर्मा ने यादगार तरीके से निभाई।
जामवंत का किरदार गिरी विजय ढौंढियाल, अंगद गौरव बिष्ट, सुग्रीव अक्षत जेटली, नल के रूप में प्रेम कुमार, नील रवींद्र कुमार, मंदोदरी रुपिका पासी, केतकी कशिश, त्रिजटा इंदु रावत, अक्षय कुमार की भूमिका बृजेश भट्ट, मेघनाथ गिरिविजय, सेनापति राजेंद्र कैंथोला, माल्यवंत का किरदार गोकुल पंवार ने निभाया।इसके अलावा विभीषण की भूमिका में प्रखर गुसाईं, संगीताचार्य के पी यादव ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। अन्य कलाकारों में बृजेश भट्ट, दिनेश बौड़ाई, दत्तात्रेय धस्माना, रोहन बिंजोला, ममता, सावित्री उनियाल आदि प्रमुख रहे।
गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस के पंचम सोपान सुंदर काण्ड के कथानक पर आधारित इस नाट्य प्रस्तुति को देश, काल के मद्देनजर तैयार किया गया था। नाट्य प्रस्तुति को रोचक बनाने के लिए इसमें गायन और नृत्य को भी समुचित स्थान दिया गया। इसके लिए कुछ पद गोस्वामी तुलसी दास जी की विनय पत्रिका से लिए जबकि मुख्य कथानक रामचरित मानस का पंचम सोपान ही रहा। नाटक में सनातन धर्म के प्रसिद्ध टीकाकार हनुमान प्रसाद पोद्दार जी की टीकाओं से ही संवादों का सृजन किया गया था। मूलतः यह प्रस्तुति तुलसीमय ही थी।
कुल मिलाकर आधुनिक, पारसी तथा आंशिक रूप से नौटंकी शैली मिश्रित इस नाट्य प्रस्तुति में संवाद, गीत, नृत्य और अभिनय के साथ रंगमंच की विधा में कतिपय नए प्रयोग किए गए थे।गौरतलब है कि मेघदूत नाट्य मंच एक ऐसा संस्थान है जिसके अनेक कलाकार फिल्म, टीवी तथा रंगमंच के विविध क्षेत्रों में देश के विभिन्न भागों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। आज की प्रस्तुति भी कई दृष्टियों से उल्लेखनीय रही।