बुजडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कई सवाल उठाए थे। आज सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गाइडलाइन जारी किए जा सकते हैं। बीजेपी शासित राज्यों में जिस तरह से बुलडोजर एक्शन की कार्रवाई हो रही है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई संगठनों की ओर से अर्जी लगाई गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट क्या आज कोई गाइडलाइन देता है उस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ सवालों को उठाया था। आज बुडोजर चलेगा या रुकेगा ये तय हो जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले आरोपियों के खिलाफ सजा देने के तौर पर इस्तेमाल एक्शन पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने कहा था कि किसी व्यक्ति के घर को इसलिए केवल नहीं गिराया जा सकता क्योंकि वो किसी आपराधिक मामले में आरोपी है।
यहां तक की दोषी सिद्ध होने पर भी घर इस तरह से गिराना कानूनन उचित नहीं है। न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई को लेकर गाइडलाइन बनाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से सुझाव मांगे। जस्टिस गवई ने कहा कि सभी पक्षों के सुझाव आने दीजिए। हम अखिल भारतीय स्तर पर दिशानिर्देश जारी करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 17 सितंबर को तय की थी। ‘ऐसे देश में जहां सरकार की कार्रवाई कानून के शासन द्वारा शासित होती है, परिवार के किसी सदस्य द्वारा किया गया अपराध परिवार के अन्य सदस्यों या उनके कानूनी तौर पर निर्मित घर के खिलाफ कार्रवाई को आमंत्रित नहीं करता है।
अपराध में कथित संलिप्तता किसी संपत्ति के विध्वंस का आधार नहीं है। पीठ ने प्रस्तावित तोड़फोड़ की कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध करने वाली जावेद अली एम सैयद की याचिका पर गुजरात सरकार और राज्य के खेड़ा जिले के कठलाल के नगर निकाय को नोटिस जारी किया। अदालत ने राज्य और नगर निकाय से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि एक सितंबर को परिवार के एक सदस्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। वकील ने दावा किया कि नगर निगम के अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के परिवार के घर पर बुलडोजर चलाने की धमकी दी है। शीर्ष अदालत मामले की समीक्षा करने पर सहमत हुई और इसे एक महीने के बाद सूचीबद्ध किया