
महाराष्ट्र में जारी भाषा विवाद के बीच शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बीच तीखी बयानबाज़ी शुरू हो गई है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा ठाकरे बंधुओं के खिलाफ की गई तीखी टिप्पणी—”तुमको पटक पटक के मारेंगे”—के जवाब में उद्धव ठाकरे ने पलटवार करते हुए दुबे को ‘लकड़बग्घा’ कहा और उन पर राज्य में शांति भंग करने का आरोप लगाया।
मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि भाजपा की राजनीति हमेशा फूट डालो और राज करो की नीति पर आधारित रही है। उन्होंने कहा कि शनिवार को मुंबई में हुई शिवसेना (यूबीटी) की सफल रैली से भाजपा बौखला गई है, और उसी बेचैनी का नतीजा है निशिकांत दुबे की यह भाषा। उद्धव ने कहा, “ऐसे लकड़बग्घे राज्य में शांति और सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इनका एकमात्र उद्देश्य लोगों को आपस में लड़वाना है।”
शिवसेना नेता ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं है, लेकिन किसी भी भाषा को जबरन थोपे जाने का विरोध करती है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा नेताओं को राज्य में रहने वाले विभिन्न भाषाओं के लोगों के बीच सद्भाव बनाए रखने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए, न कि आग में घी डालने की।
इस बीच, निशिकांत दुबे ने महाराष्ट्र में हाल ही में हिंदी भाषी लोगों पर हुई हिंसा को लेकर ठाकरे बंधुओं—राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे—पर सीधा हमला बोला था। दुबे ने आरोप लगाया कि ये नेता उत्तर भारतीयों को निशाना बना रहे हैं और उन्हें चुनौती दी कि यदि उनमें साहस है तो वे उत्तर प्रदेश, बिहार या तमिलनाडु जाकर भी ऐसा करने की कोशिश करें। दुबे ने यह भी कहा कि ठाकरे बंधु हिंदी भाषी लोगों को पीटने की बात करते हैं, तो फिर उर्दू, तमिल और तेलुगु भाषियों के साथ भी वैसा ही व्यवहार क्यों नहीं करते?
भाजपा सांसद ने कहा कि महाराष्ट्र का बड़ा हिस्सा उत्तर भारतीयों की मेहनत और निवेश से आगे बढ़ा है और ठाकरे परिवार को इस योगदान का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भाजपा महाराष्ट्र और मराठी समुदाय का सम्मान करती है, जिन्होंने देश की आज़ादी और विकास में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है।
उधर, उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मंत्री आशीष शेलार की उस टिप्पणी की भी आलोचना की जिसमें हाल की कुछ हिंसक घटनाओं की तुलना पहलगाम आतंकी हमले से की गई थी। उन्होंने इसे गैरजिम्मेदाराना और राज्य के माहौल को खराब करने वाला बताया।भाषा विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से उबाल ला दिया है, जहां भाषा, क्षेत्रीय अस्मिता और राजनीतिक रणनीतियों के ताने-बाने में पार्टियां एक-दूसरे पर तीखे वार कर रही हैं।