
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तीखा प्रहार करते हुए उन्हें एक “कमजोर प्रधानमंत्री” करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ता जा रहा है और देश की विदेश नीति असहज मोड़ पर पहुँच गई है। अशोक गहलोत ने यह टिप्पणी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा एक पोस्ट में की, जिसमें उन्होंने मौजूदा केंद्र सरकार की विदेश और घरेलू नीतियों की विफलताओं को रेखांकित किया।
गहलोत ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन काल में भारत चौतरफा घिर चुका है। उन्होंने विशेष रूप से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यवहार का उल्लेख किया, जिसमें ट्रंप द्वारा बार-बार भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का दावा किया गया है। गहलोत ने कहा कि ट्रंप अब तक 30 से अधिक बार भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाने की बात कह चुके हैं, जो भारत की संप्रभुता और कूटनीतिक स्थिति पर सीधा प्रश्नचिह्न है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ट्रंप भारत के व्यापारिक हितों के खिलाफ निर्णय ले रहे हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय छवि दोनों को नुकसान हो रहा है।
उन्होंने अफसोस जताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं और अब तक ट्रंप का नाम लेकर कोई भी प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया नहीं दी है। गहलोत का कहना है कि एक मज़बूत नेतृत्व की अपेक्षा की जाती है कि वह देश के सम्मान और हितों की रक्षा में मुखर भूमिका निभाए, लेकिन मोदी ऐसा नहीं कर सके हैं।
गहलोत ने यह भी कहा कि भारत की विदेश नीति के मोर्चे पर चीन और पाकिस्तान अब खुलकर भारत के विरोध में खड़े हैं। उन्होंने माना कि भारतीय सेना ने सीमाओं पर बहादुरी से जवाब दिया, लेकिन राजनीतिक और राजनयिक स्तर पर भारत अकेला पड़ता जा रहा है, जिसे वे मोदी सरकार की बड़ी असफलता मानते हैं। उनका यह बयान भारत की विदेश नीति को लेकर हाल ही में उठे सवालों की पृष्ठभूमि में आया है, जब कई समीक्षकों और विपक्षी नेताओं ने भारत की वैश्विक कूटनीति की दिशा पर चिंता जताई है।
आंतरिक मुद्दों पर भी गहलोत ने मोदी सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री संसद में देशहित से जुड़े गंभीर प्रश्नों पर स्पष्ट जवाब देने से कतराते हैं और मुद्दों को भटकाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार संसद में महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय विषयों पर चर्चा से बचती रही है, जो लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
बेरोजगारी की समस्या को लेकर गहलोत ने केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि मोदी सरकार रोजगार सृजन में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने दावा किया कि युवाओं में व्यापक निराशा और असंतोष व्याप्त है, और नौकरियों की कमी से हाहाकार मचा हुआ है। इस स्थिति के लिए उन्होंने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराया।
गहलोत ने अपनी पोस्ट का समापन करते हुए प्रधानमंत्री के ’56 इंच के सीने’ वाले कथन पर कटाक्ष किया और लिखा कि जो व्यक्ति खुद को इतना मज़बूत दिखाने का दावा करता है, वह आज एक कमजोर प्रधानमंत्री साबित हो रहे हैं। उनके अनुसार, यह समय है जब जनता को सरकार से जवाब मांगना चाहिए और देश की वास्तविक चुनौतियों पर गंभीर संवाद होना चाहिए।