
नारी शिक्षा की प्रबल समर्थक मोनिका माथुर अब हमारे बीच नहीं, लेकिन उनकी सोच अमर है
यह मानव जीवन परमात्मा ने हमे़ उपहार स्वरूप प्रदान किया है जिसको हमें सुंदरता व मानवीय मूल्यों के साथ ईश्वर भक्ति में लगाते हुए बिताना है वरना तो यह संसार एक सराय हैं । जहां व्यक्ति आता हैं और अपने अपने कर्म करके परलोक सिधार जाता है । लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने नेक कर्मों से ऐसी ख्याति अर्जित कर जाते हैं कि उनके परलोक चले जाने के बावजूद भी ऐसा लगता है कि वे आज भी हमारे बीच में है और वे हमारा मार्गदर्शन करते रहते है और हमें पता भी नहीं चलता है कि वह पुण्य आत्मा अपना आशीर्वाद परिवार पर आज भी बनाए हुए हैं ।
19 अगस्त 2025 का दिन वह दिन था जब शिक्षाविद् सुश्री मोनिका माथुर ( पुत्री डॉ जे एन माथुर – आशा माथुर ) इस नश्वर संसार को छोड़कर परलोक सिधार गई । वे कुछ दिनों से बीमार थी । उनका जयपुर में उपचार चल रहा था । उनका अंतिम संस्कार ब्यावर में किया गया । उन्होंने सांसारिक यात्रा पूर्ण कर शांति और प्रकाश के शाश्वत लोक की ओर प्रस्थान किया । उनका सम्पूर्ण जीवन प्रेम , करूणा और आध्यात्मिकता की मधुर गाथा रहा । एक ऐसा दीप , जिसकी ज्योति ने अनगिनत हृदयों को आलोकित किया ।
अपने कर्म , वचन और प्रेम से उन्होंने यह सिखाया कि जीवन का असली उत्सव आत्मा के प्रकाश में हैं । उनके सानिध्य में हमें न केवल अपनापन मिला , बल्कि जीवन के गहन सत्य का भी आभास हुआ । आपकी सुमधुर स्नेहिल स्मृति , आपकी सहृदयता , धर्मपरायणता , एवं चारित्रिक विशेषताएं चिर स्मरणीय एवं प्रेरणादायक रहेगी । आप एक प्रेरक , चिंतक थी । निर्भीकता की साक्षात मूर्ति थी । वे नारी शिक्षा की प्रबल समर्थक थी । उनका कहना था कि बालक – बालिका में किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए ।
वे कहा करती थी नारी शिक्षित होकर दो परिवारों को शिक्षित करती है , इसलिए नारी के व्यक्तित्व को पुरूषों से कम नहीं आंका जाना चाहिए उनका व्यक्तित्व विराट और विशाल था । वे समाज के एक मजबूत स्तम्भ थी जिनकी कार्यकुशलता व मानवीय संवेदनशीलता ने अनेक लोगों को अपना बना लिया । समाज के प्रति उनकी निस्वार्थ भाव सेवा और समर्पण उन्हें एक सच्चे इंसान के रूप में स्थापित करता है । वे न केवल एक कुशल समाजसेवी थी , बल्कि वे प्रेरणा के स्रोत भी थी जिन्होंने सभी को हमेशा उत्कृष्टता की ओर प्रेरित किया । उनका निधन समाज के लिए अपूर्णीय क्षति हैं ।
RIP DIDI