
देहरादून : सचिवालय में बुधवार को मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने प्रदेश के आपदा प्रभावित क्षेत्रों, विशेषकर धराली आपदा प्रभावित क्षेत्र के राहत एवं पुनर्वास कार्यों की समीक्षा की। बैठक में उन्होंने सचिव आपदा एवं आयुक्त गढ़वाल से राहत और रेस्टोरेशन कार्यों की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। मुख्य सचिव ने लोक निर्माण विभाग और सिंचाई विभाग के सचिवों को प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनी अस्थायी झील से डूबे हिस्से के लिए तत्काल वैकल्पिक मार्ग तैयार करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही अन्य पैदल और वैकल्पिक मार्गों को भी दुरुस्त करने के आदेश दिए। उन्होंने सर्च ऑपरेशन्स को तेज करने के लिए नवीनतम तकनीक के उपयोग पर जोर दिया और प्रभावितों के लिए आवास और भोजन की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा।
मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्य सड़क मार्ग बाधित होने से प्रभावित क्षेत्र के किसानों और बागवानों को अपने उत्पाद बेचने में कठिनाई हो रही है। इस पर उन्होंने सचिव कृषि को निर्देश दिए कि उत्तराखंड हॉर्टीकल्चर बोर्ड और मंडी परिषद प्रभावित क्षेत्रों से उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करें। साथ ही जीएमवीएन और केएमवीएन के बाजार प्रकोष्ठ को सक्रिय कर बाजार उपलब्ध कराया जाए तथा कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था भी सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि प्रभावितों की आजीविका सुधारने के लिए ऐप्पल मिशन, कीवी मिशन, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना और होम स्टे जैसी योजनाओं पर आधारित कार्ययोजना तैयार की जाए। आपदा में हुए पशुधन नुकसान का मुआवजा भी तत्काल वितरित करने के निर्देश दिए गए।
मुख्य सचिव ने प्रभावित क्षेत्रों में स्कूल, अस्पताल और आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए प्रीफैब भवन तत्काल तैयार करने को कहा। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि आपदा में नष्ट हुए प्रमाणपत्रों और अन्य दस्तावेजों को पुनः उपलब्ध कराने के लिए मल्टीपरपज कैंप आयोजित किए जाएं। लापता लोगों के लिए सिविल डेथ प्रमाणीकरण प्रक्रिया शीघ्र शुरू करने और विदेशी नागरिकों (नेपाली मूल के श्रमिक और पर्यटक) के लिए भी यह प्रक्रिया लागू करने के निर्देश दिए।
उन्होंने सम्पत्ति क्षति का आकलन आधुनिक तकनीक और सैटेलाइट इमेजरी के माध्यम से शीघ्र कराने के निर्देश दिए और इसके लिए यूकॉस्ट की मदद से आंकलन किया जाए। यूएसडीएमए द्वारा किए गए पिछले अध्ययनों और डेटा का विश्लेषण भी कराने को कहा गया। साथ ही डीजी यूकॉस्ट को प्रदेश की सभी ग्लेशियरों, ग्लेशियर झीलों और उनसे जुड़े संभावित खतरों का आंकलन करने के लिए वैज्ञानिक संगठनों की टीम बनाकर एक मॉड्यूल तैयार करने के निर्देश दिए।
समीक्षा बैठक में सचिव शैलेश बगोली, डॉ. पंकज कुमार पांडेय, आयुक्त कुमाऊं दीपक रावत, आयुक्त गढ़वाल विनय शंकर पांडेय, सचिव डॉ. सुरेंद्र नारायण पांडेय, विनोद कुमार सुमन, युगल किशोर पंत, अपर सचिव डॉ. अहमद इकबाल, आनन्द स्वरूप, आशीष चौहान और हिमांशु खुराना समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।