
(सलीम रज़ा पत्रकार)
शिक्षक दिवस केवल एक स्मरण दिवस भर नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जब हम शिक्षा, ज्ञान और संस्कारों की वास्तविकता को गहराई से समझ सकते हैं। भारत की परंपरा में गुरु को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। वेदों और उपनिषदों से लेकर आज के आधुनिक समाज तक गुरु और शिष्य के संबंध की महत्ता कभी कम नहीं हुई। “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः” जैसे श्लोकों ने यह स्थापित कर दिया है कि गुरु का स्थान ईश्वर के समान है। शिक्षक दिवस का आयोजन इसी परंपरा का आधुनिक स्वरूप है, जो हमें यह सोचने पर विवश करता है कि शिक्षक केवल पाठ्यक्रम पढ़ाने वाला व्यक्ति नहीं है, बल्कि वह जीवन को गढ़ने वाला शिल्पकार है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जीवन में यह दिखाया कि एक शिक्षक किस प्रकार छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। उनकी सादगी, विद्वता और शिक्षा के प्रति गहरी निष्ठा उन्हें हर छात्र के लिए आदर्श बनाती है। जब उनके शिष्यों और मित्रों ने उनके जन्मदिन को मनाने की इच्छा जताई, तो उन्होंने कहा कि यह दिन यदि शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो उन्हें अधिक खुशी होगी। इससे यह स्पष्ट होता है कि उनके लिए शिक्षक होना सबसे बड़ी पहचान थी।
शिक्षक दिवस पर हमें यह भी सोचना चाहिए कि एक शिक्षक केवल ज्ञान का दाता नहीं होता, बल्कि वह अपने व्यक्तित्व और आचरण से भी शिक्षा देता है। एक ईमानदार, परिश्रमी और संवेदनशील शिक्षक अपने विद्यार्थियों में भी वही गुण स्थापित करता है। कई बार विद्यार्थी अपने जीवन की दिशा शिक्षक की कही एक छोटी-सी बात से तय कर लेते हैं। शिक्षक का एक उत्साहवर्धक वाक्य किसी छात्र के आत्मविश्वास को जीवन भर के लिए मजबूत बना सकता है।
आज के दौर में जब प्रतिस्पर्धा का दबाव बढ़ गया है, तब शिक्षक की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। बच्चे केवल अंकों या डिग्रियों से सफल नहीं होते, बल्कि उनमें नैतिक मूल्यों, सहिष्णुता और मानवता का भाव होना भी जरूरी है। एक सच्चा शिक्षक बच्चों में इन गुणों का संचार करता है। तकनीकी शिक्षा और स्मार्ट क्लासरूम के बावजूद वह व्यक्तिगत मार्गदर्शन और मानवीय स्पर्श जिसे हम “गुरु-शिष्य संबंध” कहते हैं, उसका कोई विकल्प नहीं है।
समाज में अक्सर देखा जाता है कि शिक्षकों की मेहनत को उतना सम्मान नहीं दिया जाता जितना मिलना चाहिए। विद्यालय या महाविद्यालय में अध्यापन करने वाला व्यक्ति केवल किताबें पढ़ाने वाला नहीं, बल्कि देश का भविष्य गढ़ने वाला है। यदि हम चाहते हैं कि देश प्रगति करे तो हमें अपने शिक्षकों को आर्थिक, सामाजिक और नैतिक स्तर पर अधिक सम्मान देना होगा। शिक्षक दिवस इस बात की भी याद दिलाता है कि शिक्षकों को सशक्त किए बिना समाज सशक्त नहीं हो सकता।
छात्रों के लिए भी यह दिन एक बड़ा संदेश लेकर आता है। यह अवसर उन्हें यह सोचने का अवसर देता है कि उनके जीवन में शिक्षकों की भूमिका कितनी गहरी है। एक छात्र का कर्तव्य है कि वह अपने शिक्षक का आदर करे, उनकी बातों को गंभीरता से सुने और उन्हें अपने जीवन में उतारे। शिक्षक दिवस हमें यह भी याद दिलाता है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं है, बल्कि अच्छा इंसान बनना है।
यदि हम अपने जीवन पर नज़र डालें तो पाएंगे कि हर किसी की सफलता के पीछे कहीं-न-कहीं एक शिक्षक का योगदान होता है। कोई शिक्षक हमें विषय का ज्ञान देता है, कोई जीवन की कठिनाइयों से लड़ना सिखाता है, कोई हमें आत्मविश्वास देता है और कोई हमें इंसानियत का महत्व समझाता है। यही कारण है कि शिक्षक दिवस हर छात्र और हर नागरिक के लिए आत्ममंथन का दिन है।
डॉ. राधाकृष्णन ने कहा था कि “सच्चा शिक्षक वही है, जो हमें आज के बजाय कल के लिए तैयार करे।” यह वाक्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस समय था। शिक्षक हमें न केवल वर्तमान की चुनौतियों से निपटना सिखाते हैं, बल्कि भविष्य की संभावनाओं और खतरों के लिए भी तैयार करते हैं।
इसलिए शिक्षक दिवस का महत्व केवल एक दिन तक सीमित नहीं रहना चाहिए। यह एक निरंतर स्मरण होना चाहिए कि हमारे समाज में गुरु का स्थान सर्वोच्च है। हमें हर दिन अपने शिक्षकों का आभार व्यक्त करना चाहिए और उनकी दी हुई शिक्षा और मूल्यों को अपने जीवन में अमल में लाना चाहिए। यही एक सच्चे विद्यार्थी की पहचान है और यही शिक्षक दिवस की वास्तविक आत्मा भी है।