
अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी व अणुव्रत लेखक मंच ध्दारा 5 से 7 अक्टूबर 2025 तक प्रेक्षा विश्व भारती , कोबा , अहमदाबाद में आयोजित अणुव्रत लेखक मंच का साहित्यकार सम्मेलन सभी साहित्यकारों के मन व मस्तिष्क में स्वर्णिम अक्षरों में सदा के लिए अंकित ह़ो गया है जिसे भुलाये नहीं भूला जा सकता । चूंकि यह एक साहित्य सम्मेलन ही नहीं था अपितु देश भर के साहित्यकारो का एक महा कुम्भ था जहां साहित्यकारों का न केवल स्नेह मिलन हुआ बल्कि एक साहित्य मंच से प्रेम और स्नेह की गंगा के साथ ही साथ अनुशासन , निष्ठा के साथ कार्य करने व संवाद की प्रक्रिया को निरन्तर बनाये रखें जाने पर बल दिया गया ।
विभिन्न सत्रों में आयोजित परिचर्चाओं के माध्यम से साहित्यकारों के विचार सुनने को मिलें जिससे साहित्य सृजन के क्षेत्र में एक नई दशा व दिशा मिली हैं । वही दूसरी ओर महान विद्वान् मुनिजनों व साध्वियों के प्रवचनों से चारित्रिक विकास की बातें व अन्य ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक जानकारी मिली ।
शान्त वातावरण में उन्होंने जिस प्रकार ज्ञान की गंगा बहाई उसमें साहित्यकारो ने डूबकिया लगाकर ( ध्यान से सुनकर ) अपने को गौरवान्वित महसूस किया ।यह मेरे जैसे साहित्यकार के लिए बहुत ही बड़ी बात है कि साहित्यकार सम्मेलन के साथ ही मुनिजनों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ और उनके श्रीमुख से अनमोल व ज्ञानवर्धक जानकारी सुनने को मिली जो सौभाग्य की बात हैं ऐसे महान विद्वान् मुनिजनों को नजदीक से देखने का भी अवसर मिला वहीं दूसरी ओर संवाद भी हुआ ।अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी के सानिध्य में आयोजित यह लेखक सम्मेलन सदा याद रहेगा । सम्मेलन के दौरान अणुव्रत का इतिहास और दर्शन , अणुव्रत आंदोलन प्रवर्तक आचार्य तुलसी का परिचय एवं उनके साहित्य में पारिवारिक मूल्यों , अणुव्रत चेतना – पारिवारिक सामंजस्य का आधार , भविष्य का मानवीय समाज और सह अस्तित्व , विश्व शांति की अनिवार्यता , लोक सेवा में ईमानदारी और मूल्य आधारित आचरण , मानवीय चेतना से समरस समाज की ओर , काव्य गोष्ठी संत वाणी और कवि स्वर , जिज्ञासा और समाधान , संवाद और स्नेह : परिवार में संवादहीनता का बालमन पर प्रभाव जैसे अनेक विषयों पर वक्ताओं के सारगर्भित विचार सुनने को मिलें जो विचार अन्यत्र मिलना दुर्लभ है
। ये दुर्लभ पल वास्तव में मन व मस्तिष्क में स्वर्णिम अक्षरों में सदा के लिए अंकित हो गये जिन्हें भुलाये नहीं भूला जा सकता ।इसी के साथ महान् साहित्यकारो पद्मश्री रघुवीर चौधरी , आई पी एस अमित लोढ़ा , अविनाश नाहर , श्रीमती डिम्पल श्रीमाल , संतोष कुमार सुराणा , मुनि मनन कुमार जी , नरेन्द्र मांडोतर , राजेंद्र सेठिया , डॉ स्वाति भंसाली , जिनेन्द्र कुमार कोठारी , डॉ लता अग्रवाल , श्रीमती सुधा आदेश , डॉ पूनम गुजरानी , श्रीमती भावना कोठारी , पत्रकार प्रकाश तातेड , कुसुम लुनिया से मिलने और आशीर्वाद प्राप्त करने का भी सुनहरा अवसर मिलाजैन विश्व भारती बुक स्टाल का अवलोकन करने का भी मौका मिला जहां ढेरों संत मुनिजनों की पुस्तकें देख कर हृदय गद् गद् हो गया । सभी प्रकार की चित्रमय पुस्तकें साहित्यकारो को 50 प्रतिशत की छूट पर उपलब्ध थी ।
इस स्वर्णिम अवसर के लिए मैं अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी की उपाध्यक्ष डॉ कुसुम लूनिया , अणुव्रत लेखक मंच के राष्ट्रीय संयोजक जिनेन्द्र कुमार कोठारी , सह संयोजक संतोष कुमार सुराणा , अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष अविनाश नाहर , पदाधिकारी मनोज सिंघवी एवं अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी व अणुव्रत लेखक मंच के तमाम पदाधिकारियों और कार्यकताओं का आभारी हूं जिनकी वजह से अणुव्रत लेखक मंच ध्दारा आयोजित लेखक सम्मेलन में अपनी सहभागिता निभाने का सुनहरा अवसर मिला ।सम्मेलन स्थल पर सभी सुविधाएं मिली जो अपने आप में एक सुन्दर व्यवस्था थी । सम्मेलन स्थल के परिसर क्षेत्र के भीतर आमंत्रित सभी लोगों के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए ई रिक्शा के जरिए निशुल्क सेवा थी जिससे किसी को भी किसी प्रकार की असुविधा नहीं हुई । इसके अतिरिक्त आवासीय कालोनी बड़े ही सुन्दर ढंग से बसाई हुई है जो एक गांव का आभास कराती है व सभी व्यवस्थाएं अच्छी थी जिसके लिए भी आयोजक मंडल को धन्यवाद एवं साधुवाद ।ऐसे आयोजन हर वर्ष आयोजित किये जाने चाहिए ताकि समाज को समय-समय पर साहित्यकारो की लेखनी से एक नई दशा व दिशा मिलती रहें और संवाद के साथ ही साथ आपसी प्रेम और स्नेह की गंगा निरन्तर बहती रहें । हां एक अनुरोध है कि लेखक सम्मेलन के लिए तीन दिन का समय कम रहा । अतः भविष्य में कम से कम सात दिन का सम्मेलन आयोजित करने का प्रयास करें ताकि खुलकर विस्तार से चर्चा हो सकें ।
सुनील कुमार माथुर
सदस्य अणुव्रत लेखक मंच
( स्वतंत्र लेखक व पत्रकार )
33 वर्धमान नगर , शोभावतों की ढाणी , खेमे का कुंआ , पालरोड , जोधपुर , राजस्थान