
देहरादून: उत्तराखंड में इस वर्ष चारधाम यात्रा एक बार फिर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही। इस वर्ष यात्रा का आगाज 30 अप्रैल 2025 को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ हुआ। इसके बाद दो मई को केदारनाथ और चार मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद चारधाम यात्रा पूरी तरह से संचालित हुई और श्रद्धालुओं का आना लगातार जारी रहा।
पर्यटन विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 21 अक्टूबर तक गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ- बदरीनाथ धामों में दर्शन करने वाले कुल श्रद्धालुओं की संख्या 49.30 लाख से अधिक हो चुकी है। चारधाम यात्रा के तीनों धामों के कपाट बंद होने तक यह आंकड़ा 50 लाख पार करने की संभावना है। गंगोत्री धाम के कपाट 22 अक्टूबर को विधि विधान के साथ बंद किए जाएंगे। इस अवसर पर मां गंगा की डोली को शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा के लिए रवाना किया जाएगा। वहीं केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट 23 अक्टूबर को बंद किए जाएंगे।
धामों में यात्रा के अंतिम पड़ाव के दौरान भी श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ। प्रतिदिन लगभग 10 से 11 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए धामों में पहुँच रहे हैं। इस दौरान यात्रियों के लिए सभी व्यवस्थाएं पूरी तरह तैयार की गई हैं। पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा, साफ-सफाई और आपातकालीन सेवाओं की विशेष व्यवस्था की है, ताकि यात्रा सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से पूरी हो सके।
चारधाम यात्रा का यह साल कई मायनों में विशेष रहा। इस बार श्रद्धालुओं की संख्या पिछले वर्षों की तुलना में बढ़ी है और यात्रा के दौरान मौसम की अनुकूल परिस्थितियों ने भी यात्रियों को राहत दी। प्रशासन और स्थानीय लोगों ने मिलकर यात्रा को सुविधाजनक और सुचारू बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा यात्रियों के लिए रास्तों, लॉज और स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई थी।
उत्तराखंड पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष चारधाम यात्रा का रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन से पर्यटन क्षेत्र को भी मजबूती मिली है। होटल, ढाबे और परिवहन सेवाओं में भी व्यस्तता बढ़ी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ। अधिकारियों ने यह भी कहा कि गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धामों के कपाट बंद होने के बाद यात्रा का मौसम शीतकालीन अवधि के लिए समाप्त हो जाएगा, लेकिन अगले वर्ष फिर से अप्रैल महीने में यह यात्रा शुरू होगी।
चारधाम यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह उत्तराखंड के पर्यटन और स्थानीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी अहम भूमिका निभाती है। इस साल भी यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने धामों में आस्था और भक्ति का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया, जिससे यह अनुभव आने वाले वर्षों के लिए भी यादगार बना रहेगा।





