
देहरादून: मुख्यमंत्री ने गोवर्धन पूजा के अवसर पर कहा कि यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि प्रकृति संरक्षण और मनुष्यों तथा जानवरों के बीच प्रेम को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह हमें अपनी परंपराओं, संस्कृति और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बने रहने का संदेश देता है।
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से गौमाता की महत्ता पर जोर दिया और कहा कि हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। गौमाता सनातन संस्कृति और कृषि जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि गायों की सेवा और संरक्षण हमारे जीवन को आगे बढ़ाता है, और कई परिवारों का भरण-पोषण गाय पालन और गो-सेवा से जुड़ा है। गौ-संवर्धन न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है, बल्कि आजीविका और आत्मनिर्भरता का भी एक माध्यम है।
मुख्यमंत्री ने सभी से अपील की कि वे मिलकर गायों की सेवा, सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रयास करें। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार निराश्रित गोवंश के लिए गौ सदनों के निर्माण और संचालन को बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि राज्य में निराश्रित पशुओं के भरण-पोषण के लिए पहले 5 रुपए प्रति दिन प्रति पशु दिया जाता था, जिसे बढ़ाकर अब 80 रुपए प्रति पशु प्रति दिन कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि निजी स्तर पर गौशालाओं के निर्माण में राज्य सरकार 60 प्रतिशत तक सब्सिडी देने का प्रावधान कर रही है। वर्तमान में राज्य में लगभग 54 गौ सदनों का निर्माण कार्य जारी है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि भविष्य में भी राज्य सरकार गौ संरक्षण के लिए निरंतर कार्य करती रहेगी और इस दिशा में सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।





