
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के स्थापना दिवस पर जवानों को बधाई दी और कहा कि आईटीबीपी के हिमवीरों ने राष्ट्र के प्रति साहस और प्रतिबद्धता की शानदार मिसाल कायम की है। उन्होंने अपने विचार सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ के ज़रिए साझा किए और कर्तव्य पथ पर सर्वोच्च बलिदान देने वाले आईटीबीपी के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। शाह ने कहा कि उनकी वीरता हमेशा राष्ट्र को प्रेरित करती रहेगी।
अमित शाह ने अपने संदेश में कहा कि आईटीबीपी कर्मियों को उनके स्थापना दिवस पर बधाई। कठिन जलवायु और निर्दयी इलाकों में राष्ट्र की गरिमा की रक्षा करते हुए, आईटीबीपी के हिमवीरों ने देश के प्रति साहस और प्रतिबद्धता की शानदार मिसाल कायम की है। उन्होंने शहीदों को नमन करते हुए कहा कि देश के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले उनके बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
आईटीबीपी, जिसे ‘हिमवीर’ या हिमालयी योद्धा के नाम से जाना जाता है, चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-तिब्बत सीमा पर तैनात है। इसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ-साथ दुनिया के कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण ऊँचाई वाले इलाकों में देश की सीमाओं की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है। आईटीबीपी जम्मू और कश्मीर (1597 किमी), हिमाचल प्रदेश (200 किमी), उत्तराखंड (345 किमी), सिक्किम (220 किमी) और अरुणाचल प्रदेश (1126 किमी) की सीमाओं की रक्षा करता है।
भारत-चीन युद्ध के बाद 24 अक्टूबर 1962 को आईटीबीपी की स्थापना की गई थी। इसका प्राथमिक उद्देश्य भारत-चीन सीमा पर देश की रक्षा करना था। हाल के वर्षों में इसकी भूमिका सीमा सुरक्षा से बढ़कर आपदा प्रतिक्रिया, नक्सल-विरोधी अभियान और आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों तक विस्तृत हो गई है। बल को देश भर में वीआईपी सुरक्षा और चुनाव संबंधी कार्यों के लिए भी तैनात किया जाता है।
हर साल 24 अक्टूबर को मनाया जाने वाला आईटीबीपी स्थापना दिवस उन “हिमवीरों” की वीरता, समर्पण और बलिदान का सम्मान करता है जो दुनिया के सबसे दुर्गम और ऊँचाई वाले इलाकों में तैनात रहते हैं। इनमें लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के 18,000 फीट से ऊँचे क्षेत्र शामिल हैं। इस दिन नई दिल्ली स्थित आईटीबीपी मुख्यालय और इसकी सभी इकाइयों में परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।








