
बलात्कार के दोषी स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम को राजस्थान उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने बुधवार को उन्हें चिकित्सा आधार पर छह महीने की अंतरिम ज़मानत प्रदान की। आसाराम जोधपुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। उन्होंने बिगड़ते स्वास्थ्य और विशेष चिकित्सा उपचार की आवश्यकता का हवाला देते हुए ज़मानत याचिका दायर की थी। अदालत ने उनके वकील द्वारा प्रस्तुत चिकित्सा रिपोर्टों की समीक्षा करने के बाद यह फैसला सुनाया।
मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की खंडपीठ के समक्ष हुई। आसाराम वर्तमान में एक निजी अस्पताल में उपचाराधीन हैं। अदालत ने चिकित्सा स्थिति की गंभीरता और जेल में पर्याप्त उपचार सुविधाएँ न होने के कारण छह महीने की अस्थायी राहत दी। आदेश में यह स्पष्ट किया गया कि यह राहत पूरी तरह से चिकित्सा आधार पर दी जा रही है और इस दौरान आसाराम को अदालत द्वारा तय शर्तों का पालन करना होगा।
पीठ ने कहा कि चिकित्सा रिपोर्टों के अनुसार आसाराम की तबीयत लगातार बिगड़ रही है और उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि उनके स्वास्थ्य में सुधार होने पर ज़मानत अवधि समाप्त होने से पहले चिकित्सा रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए, ताकि आगे की आवश्यकता का मूल्यांकन किया जा सके।
मामले की पृष्ठभूमि में बताया गया कि आसाराम को एक नाबालिग से बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था। 2018 में जोधपुर की विशेष अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद से आसाराम ने कई बार जमानत के लिए याचिकाएँ दायर कीं, लेकिन हर बार अदालतों ने उन्हें खारिज कर दिया।
अदालतों ने पूर्व में इस आधार पर जमानत याचिकाएँ ठुकराई थीं कि अपराध की प्रकृति गंभीर है और दोषसिद्ध व्यक्ति के फरार होने या गवाहों को प्रभावित करने की आशंका बनी रहती है। हालांकि, इस बार चिकित्सा रिपोर्टों ने अदालत का दृष्टिकोण बदल दिया।
वर्तमान आदेश के तहत आसाराम को छह महीने के लिए उपचार और स्वास्थ्य लाभ के उद्देश्य से अस्थायी रूप से रिहा किया जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि जमानत की अवधि पूरी होने के बाद उन्हें रिपोर्ट पेश करनी होगी और आवश्यकता पड़ने पर जेल वापस भेजा जा सकता है। यह फैसला आसाराम के लिए उनके कारावास के बाद पहली बड़ी कानूनी राहत मानी जा रही है।








