
शामली : जिले के कैराना कस्बे में स्थित मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों की कॉलोनी में शुक्रवार को पुलिस ने एक विशेष सत्यापन अभियान चलाया। इस अभियान के तहत पुलिस टीमों ने घर-घर जाकर निवासियों के दस्तावेजों की जांच की। अधिकारियों के अनुसार, इस कार्रवाई का उद्देश्य क्षेत्र में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या या बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करना और प्रशासनिक रिकॉर्ड को अद्यतन करना था।यह सत्यापन नाहिद कॉलोनी में किया गया, जहां वर्ष 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के बाद लंक, बहावदी और फुगाना सहित कई गांवों से विस्थापित करीब 300 परिवारों को बसाया गया था। दंगों के बाद से यह कॉलोनी प्रशासन और राजनीति के लिहाज से संवेदनशील मानी जाती रही है, जिसके चलते यहां समय-समय पर निगरानी और सत्यापन की कार्रवाई होती रही है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अभियान के दौरान प्रत्येक परिवार के आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, पारिवारिक विवरण और निवास से जुड़े अन्य दस्तावेजों की बारीकी से जांच की गई। सत्यापन प्रक्रिया के दौरान स्थानीय पुलिस के साथ अन्य विभागों के कर्मचारी भी मौजूद रहे। कैराना के क्षेत्राधिकारी हिमांशु कुमार ने बताया कि यह अभियान पूरी तरह नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है और अभी तक किसी भी व्यक्ति के अवैध प्रवासी होने की पुष्टि नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि जांच का उद्देश्य किसी समुदाय या व्यक्ति को निशाना बनाना नहीं, बल्कि सुरक्षा और दस्तावेजीकरण सुनिश्चित करना है।कॉलोनी के निवासी नूर हसन ने बताया कि यहां रहने वाले सभी परिवार पहले ही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत अपने फॉर्म भरकर कैराना में बूथ स्तरीय अधिकारी के पास जमा कर चुके हैं। उनका कहना है कि अधिकांश लोग वर्षों से यहां रह रहे हैं और उनके पास सभी जरूरी सरकारी दस्तावेज मौजूद हैं। सत्यापन के दौरान लोगों ने पुलिस का सहयोग किया और किसी तरह की अव्यवस्था की स्थिति नहीं बनी।
इस बीच, पड़ोसी जिले मुजफ्फरनगर में भी पुलिस ने सत्यापन अभियान को तेज कर दिया है। खासतौर पर औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों पर पुलिस का ध्यान केंद्रित है। अधिकारियों के अनुसार, फैक्टरियों में काम करने वाले कई श्रमिक दूसरे राज्यों से आते हैं, ऐसे में उनके दस्तावेजों की जांच को जरूरी माना जा रहा है।क्षेत्राधिकारी सिद्धार्थ मिश्रा ने बताया कि पुलिस टीमों ने जिले की कई कागज मिलों और इस्पात कारखानों का निरीक्षण किया है। इस दौरान श्रमिकों के पहचान पत्र, पते और रोजगार से जुड़े रिकॉर्ड की जांच की गई। फैक्टरी मालिकों और प्रबंधन को निर्देश दिए गए हैं कि वे एक रजिस्टर तैयार करें, जिसमें सभी श्रमिकों का पूरा विवरण दर्ज हो, ताकि जरूरत पड़ने पर जानकारी तुरंत उपलब्ध कराई जा सके।
पुलिस का कहना है कि यह अभियान एक व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अवैध प्रवासियों की पहचान के साथ-साथ कानून-व्यवस्था को मजबूत करना और सुरक्षा से जुड़े संभावित खतरों को समय रहते रोकना है। प्रशासन का दावा है कि सत्यापन प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की जा रही है और किसी भी निर्दोष व्यक्ति को परेशान नहीं किया जाएगा।गौरतलब है कि वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में हुए दंगों में 60 से अधिक लोगों की जान चली गई थी, जबकि हजारों लोग अपने घर-गांव छोड़ने को मजबूर हुए थे। इनमें से अधिकांश लोग ग्रामीण पृष्ठभूमि से थे, जिन्हें बाद में विभिन्न पुनर्वास कॉलोनियों में बसाया गया। आज भी इन कॉलोनियों में रहने वाले लोग अपने पुनर्वास, पहचान और सुरक्षा को लेकर संवेदनशील स्थिति में हैं।पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आने वाले दिनों में भी जिले के अन्य संवेदनशील इलाकों और औद्योगिक क्षेत्रों में सत्यापन अभियान जारी रहेगा। प्रशासन का कहना है कि इसका मकसद केवल दस्तावेजों की जांच नहीं, बल्कि क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और विश्वास का माहौल बनाए रखना है।







