मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा की गई उस टिप्पणी को दोहराया है, जिसमें कहा गया था कि किसी WhatsApp ग्रुप में डाले गये आपत्तिजनक सामग्री के लिए ग्रुप का एडमिन जिम्मेदार नहीं है। जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने बॉम्बे हाईकोर्ट में किशोर बनाम महाराष्ट्र सरकार केस का हवाला देते हुए कहा कि अगर किसी ग्रुप में डाले गये आपत्तिजनक सामग्री में ग्रुप के एडमिन की कोई भूमिका नहीं है तो उन्हें अन्य सदस्य द्वारा ग्रुप में डाले गये इस सामग्री के लिए आरोपी नहीं ठहराया जा सकता है।
हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि अगर इस संबंध में जुटाई गई सूचनाओं से यह पता चलता है कि इस अपराध में एडमिन शामिल हैं तब उसपर कानून के मुताबिक कार्रवाई की जा सकती है। अदालत में उस याचिका पर सुनवाई हो रही थी जिसमें एक व्हाट्सऐप ग्रुप एडमिन पर दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की गई थी। इस ग्रुप में जो मैसेज डाले गये थे उसकी वजह से दो समुदायों के बीच माहौल खराब हुआ था। शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि ग्रुप एडमिेन और ग्रुप के सदस्य के बीच एक साजिश थी।