बदायूं: जैसा की देखते चले आ रहे हैं के हर बार विधानसभा चुनावों में बदायूं जिले के मतदाताओं का मूड बदल जाता है। आपको बता दें कि साल 2002 से साल 2017 तक हुए चार विधानसभा चुनावों में बदायूं के वोटरों ने हर बार पार्टी बदली है। इस दौरान सपा,बसपा को मौका देने के साथ अन्य को भी मतदाताओं ने विधानसभा तक पहुंचाया। जैसा की मालूम हो 2002 के चुनाव में सपा को पांच विधानसभा सीटें दीं वहीं 2017 के चुनाव में भाजपा को पांच सीटें दी। 2007 बसपा, 2012 सपा और 2017 में प्रदेश भाजपा की पूर्ण बहुमत सरकार बनीं थी।
2002 के विधानसभा चुनाव की बात की जाये तो उस वक्त बिल्सी सुरक्षित सीट थी। गुन्नौर भी उस वक्त बदायूं जिले का हिस्सा हुआ करता था। जबकि शेखूपुर सीट बनी नहीं थी पहले इसे उसहैत सीट के नाम से जाना जाता था। वहीं बिनावर विधानसभा सीट थी। इस चुनाव में बिसौली से सपा के योगेंद्र कुमार गर्ग उर्फ कुन्नू बाबू, सहसवान से ओमकार सिंह, बिल्सी से आशुतोष मौर्या राजू, उसहैत से आशीष यादव और दातागंज से प्रेमपाल सिंह यादव चुनाव जीते थे। शहर सीट पर मतदाताओं ने बसपा के विमल कृष्ण अग्रवाल और बिनावर से भूपेंद्र सिंह कुर्मी को मौका दिया था। गुन्नौर सीट से अजीत यादव जनता दल के टिकट पर विधायक चुने गए लेकिन बाद में वह सपा में शामिल हो गए थे । इस्तीफा से रिक्त हुई सीट पर उप चुनाव में मुलायम सिंह यादव विधायक चुने गए थे , इस बार प्रदेश में मायावती की सरकार बनी थी । बाद में बसपा में बिखराव हो गया और मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने। वहीं विमल कृष्ण अग्रवाल भी बसपा से सपा में चले गए।
ऐसे ही 2007 के विधानसभा चुनाव में वोटरों का ऐसा मूड बदला कि सपा को सिर्फ गुन्नौर सीट ही हाथ आई जबकी यहां से मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे। बाद में उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया था और फिर इस सीट पर सपा के प्रदीप यादव विधायक चुने गये। इस चुनाव में सहसवान से रापद के डीपी यादव, बिसौली से डीपी की पत्नी उमलेश यादव, शहर विधानसभा सीट से भाजपा के महेश गुप्ता,बिल्सी से बसपा के योगेंद्र सागर, उसहैत से बसपा के मुस्लिम खां, दातागंज से बसपा के सिनोद शाक्य और बिनावर से लोक जनशक्ति पार्टी से रामसेवक सिंह विधायक चुने गए थे । प्रदेश में बसपा की सरकार बनी और रामसेवक सिंह पटेल, डीपी यादव और उमलेश यादव बसपा में शामिल हो गए। इस बार पूरा जिला बसपा के नीले रंग में रंग गया ।
2012 के चुनाव में फिर से वोटरों का मुड अंगड़ाई लेने लगा और इस बार मतदाताओं ने सपा को मौका दिया। अब चुंकि सीटों का परसीमन हो चुका था लिहाजा 2012 का चुनाव नए परिसीमन पर हुआ। परसीमन में बिनावर सीट खत्म हो गई भी और उसहैत को शेखूपुर विधान सभा का नाम दे दिया गया था। इस बार का चुनाव आते आते गुन्नौर सीट संभल जिले में जा चुकी थी। 2012 में शहर से सपा के आबिद रजा, सहसवान से ओमकार सिंह यादव, बिसौली सुरक्षित सीट से सपा के आशुतोष मौर्य, शेखूपुर से सपा के आशीष यादव विधायक चुने गए थे। वहीं इस चुनाव में बिल्सी के वोटरों ने बसपा के हाजी बिट्टन और दातागंज के मतदाताओं ने बसपा के सिनोद शाक्य को विधायक चुना था।
2017 के चुनाव में जिले के वोटरों ने भाजपा को मौका दिया था । इस चुनाव में शहर सीट से भाजपा के महेश गुप्ता,शेखूपुर से धर्मेंद्र शाक्य, बिसौली से कुशाग्र सागर, बिल्सी से आरके शर्मा और दातागंज सीट से भाजपा के राजीव कुमार सिंह विधायक चुने गए थे । वहीं सहसवान सीट पर इस बार भी वोटरों ने सपा के ओमकार सिंह को मौका दिया था। अब 2022 के चुनाव में वोटरों का मूड फिर अंगड़ाई ले रहा है । हालांकि सपा, भाजपा, बसपा और कांग्रेस सभी छह सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं लेकिन चुनावी समीकरण और जोड़ घटाने में बदायूं की इन सीटों पर भाजपा की डगर आसान नहीं है।