बागेश्वर: वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही कुदरत ने फाग के अनेकों रंग बिखेर दिए हैं, वहीं देवभूमि उत्तराखंड का राज्य पुष्प बुरांश की लाली से पहाड़ के जंगल जहां गुलजार हो गये वहीं बुरांश की लालिमा से पहाड़ का सौंदर्य निखर गया है । माह बसंत में खिले बुरांश पूरे यौवन पर है और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आपको बता दें बुरांश में कई औषधि गुण पाए जाते हैं खासकर इसका शर्बत लोगों को बहुत अच्छा लगता है जो शीतलता प्रदान करता है।
गौरतलब है अस समय उत्तराखंड का राज्य पुष्प बुरांश पूरे यौवन पर है। कत्यूर घाटी सहित पहाड़ के जंगलों में बुरांश खिला हुआ है बुरांश चीड़ और बांज के जंगलों के बीच में खिला हुआ अनायास ही लोगों को अपनी तरफ खींच लेता है।
शायद आपको मालूम हो कि सबके मन को भाने वाले बुरांश का वाअनिकल नाम रोडोडेंड्रान आरबेरियम है। पहाड़ के लोक गायकों के केंद्र में भी बुरांश रहता है। बुरांश की खूबसूरती और उसकी लालिमा पर कई रचनाएं लिखी जा चुकी हैं। समुद्र सतह से बारह हजार फिट की ऊंचाई पर खिलने वाले बुरांश को सरकार ने भी राज्य पुष्प की संज्ञा दी है।
इतन ही नहीं प्रख्यात छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत ने भी बुरांश फूल पर कुमाउनी भाषा में एकमात्र कविता की रचना की थी। उनकी इस कृति ने भी साहित्यकारों के बीच बुरांश की लोकप्रियता को बढ़ा दिया था । आज भी साहित्यकार व रचनाकार पहाड़ के बारे में लिखते वक्त बुरांश का जिक्र जरूर करते हैं।