देहरादून / पढ़ लिखकर हर नौजवान की आंखों में एक ही सपना होता है कि वो रोजगार हासिल करके अपने मां-बाप का सहारा बने। लेकिन हाथों में डिग्री लिए दर बदर भटकने के बाद वो अवसाद की चपेट में आ जाता है जिसका परिणाम बड़ा दुःखद होता है। आपको बता दें कि देवभूमि में साल 2016 से 2020 के दरम्यान इन पांच सालों के अन्तराल में 29 नौजवानों ने बेरोजगारी के कारण मौत को गले लगा लिया। ये हमारे सियासी लोगों के लिए शर्म की बात है कि देवभूमि उत्तराखण्ड की तुलना में बेरोजगारी के कारण आत्महत्या की दर पड़ोसी राज्य हिमाचल में अधिक रही इस बात का खुलासा संसद में एक लिखित सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने दिया।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में भी शहरी बेरोजगारी की दर में लगातार इजाफा हो रहा है। हाल ही में राष्ट्रीय कार्यालय ने आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किए हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तराखंड में साल 2021 जनवरी,फरवरी और मार्च की तिमाही में 15 से 29 साल के शहरी युवाओं में बेरोजगारी दर 34.5 फीसद रही जबकि पहली तिमाही में केरल 47 फीसद बेरोजगारी दर देश में सबसे ज्यादा 46.3 फीसद के साथ जम्मू कश्मीर दूसरे और 40 फीसद बेरोजगारी दर के साथ छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है।
देवभूमि उत्तराखंड में अप्रैल से जून 2020 में उत्तराखंड की बेरोजगारी दर 37.7 फीसद थी जो जुलाई,अगस्त,सितंबर माह में घटकर 22.4 फीसद रह गई और अक्तूबर,नवंबर,दिसंबर माह में बढ़कर 27.1 फीसद तक पहुंच गई। जनवरी,फरवरी और मार्च 2021 में यह बढ़कर 34.5 फीसद तक पहुंच गई।
रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि उत्तराखंड में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की बेरोजगारी दर अधिक रही। 2020-21 की पहली तिमाही में महिलाओं में बेरोजगारी दर 22.9 फीसद थी जबकि पुरुषों में 27.6 फीसद आंकी गई थी। दूसरी तिमाही में महिलाओं की बेरोजगारी दर घटकर आठ फीसदी हो गई, जबकि पुरुषों की भी 10.5 फीसद तक कम हो गई। 2021-22 की पहली तिमाही में महिलाओं की 17.4 फीसद बेरोजगारी दर की तुलना में पुरुषों की बेरोजगारी दर 16.9 फीसद थी।