सलीम रज़ा//
देहरादून: केदारनाथ त्रासदी को भूल पाना नामुमकिन है। अपने कल को संवारने की मुराद लिए केदार धाम पहुंचे श्रद्धालुओं को सपने में भी यकीन नहीं होगा कि वे अब कभी भी अपनों से नहीं मिल पायेंगे। शायद ही कोई ऐसा हो जिसका दिल उस त्रासदी से न लरजा हो। इस त्रासदी में अभी भी तीन हजार से ज्यादा तीर्थ यात्रियों का पता नहीं चल सका है। सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी लोगों का कोई सुराग नहीं है। आपको याद ही होगा 16 जून की वो काली रात जिसमें तीर्थ यात्री की जानें चली गई थीं।
उत्तराखंड के संवेदनशील कहे जाने वाले रुद्रप्रयाग जिले में साल 2013 में केदारनाथ धाम में आई जल प्रलय में लापता हुए लोगों का दर्द आज भी उनके अपनों के चेहरों पर साफ देखा जा सकता है। हालांकि केदारनाथ आपदा को नौ साल गुजर गए हैं लेकिन इस प्रलयकारी आपदा के जख्मों की टीस इस भयंकर त्रासदी की बरसी पर फिर ताजा हो चली है। इस भीषण आपदा में अब भी 3.183 लोगों का कोई पता नहीं चल सका है।
16 और 17 जून 2013 की भीषण आपदा में बड़ी संख्या में यात्री और स्थानीय लोग इस आपदा की चपेट में आ गए थे आज तक इन लोगों का पता नहीं लग पाया है। केदारघाटी के अनेक गांवों के साथ ही देश-विदेश से आए तीर्थयात्रियों ने इस त्रासदी में अपनी जान गंवाई। सरकारी आंकड़ों को देखें तो पुलिस के पास आपदा के बाद कुल 1840 एफआईआर आई इसमें कई ऐसी हैं जो दो-दो बार दर्ज हुई हैं।
उस वक्त पुलिस की अलग से रुद्रप्रयाग में विवेचना सेल गठित की गई थी इसमें 584 एफआईआर मर्ज की गई जो दो-दो जगहों पर दर्ज थी। बाद में पुलिस ने सही तफ्तीश करते हुए 1256 एफआईआर को वैध मानते हुए कार्रवाई की। पुलिस के पास 3.886 गुमशुदगी दर्ज हुई जिसमें से विभिन्न सर्च अभियानों में 703 कंकाल बरामद किए गए थे। केदारनाथ धाम त्रासदी की 9वीं बरसी पर इस त्रासदी में अपनी जान गंवाने वाले असंख्य श्रद्धालुओं को अश्रुपूरित नेत्रों से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।