(नेहा शर्मा)
बहुमुखी प्रतिभा की धनी नेहा शर्मा जी द्वारा लिखित उनकी पुस्तक “लहरें नेह की ”की प्राप्ति होना स्वयं में ही एक सुखद अनुभूति है।नेहा जी के साहित्यिक सफर की शुरुआत तो,बचपन से ही हो गई थी।उनकी इस अद्भुत प्रतिभा ने उनके इस सफर को रुकने नहीं दिया,और यह बहुत ही सौभाग्य की बात है कि, शादी के बाद भी उनका साहित्यिक सफर जारी रहा।
अपनें वतन की खुश्बू समेटे , एक भारत की बेटी विदेश में जाकर अवश्य बसी थी,लेकिन वहां भी जाकर वह अपने धर्म एवं कर्म से जुड़ी रहीं।सुंदर संस्कारों के परिवेश में बढ़ी पली नेहा जी ने विदेश में भी भारत की खुश्बू को जीवित रखा।नेहा शर्मा जी द्वारा लिखित उनके इस काव्य संग्रह में ,कहीं करुणा की पुकार तो कहीं “मेरी बेटी” कविता के द्वारा वात्सल्य भावों की अभिव्यक्ति है।
इस काव्य संग्रह में कवयित्री नेहा शर्मा जी द्वारा बेहद सुंदर ढंग से अपनें भावों की अभिव्यक्ति की गई है।”काश वो”कविता के माध्यम से कहीं वो प्रेम गीत गाती नज़र आती हैं तो कहीं “पानी” कविता के माध्यम से समाज का यथार्थ रूप प्रस्तुत करती हैं,एवं कहीं रहस्यवाद का चित्रण प्रस्तुत करते हुए “तड़प तुझ से मिलने की” में आत्मा और परमात्मा का एकाकार अनुभव करवाती हैं।
एक उत्कृष्ट लेखन उसी को माना गया है जिसमें कोई भी लेखक एवं कवि अपनें शब्दों के माध्यम से चित्र संजोकर ,सीधा पाठकों के दिल में उतर जाए।जीवन के आनन्द और तृष्णा से मिलवाता यह काव्य संग्रह ,बेहद ही सुंदर ढंग से निखर कर हमारे सामने आया है।इस काव्य संग्रह की सभी कविताएं बेहद अनमोल , मर्मस्पर्शी एवं भाव प्रबल हैं।ह्रदय में गहरी छाप छोड़ता यह काव्य संग्रह बेहद सुंदर है,आप सभी इसे अवश्य पढ़ें।
बहुत खूबसूरत समीक्षा है।