सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया है। 2019 में किए गये फैसले को कोर्ट ने बरकरार रखा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा याचिका में लगभग 70 साल पुरानी विशेष स्थिति को खत्म करने के केंद्र के 2019 के फैसले की वैधता को चुनौती दी गई थी।अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के लिए और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करना।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा सुनवाई 2 अगस्त को शुरू हुई, जो 35 दिनों की अवधि में 16 दिनों तक चली और 5 सितंबर को आदेश सुरक्षित रखा गया था। अब 11 दिसंबर को फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने अनुच्छेद 370 पर लिए गये केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को बरकरार रखा है।
भारत के सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आर्टिकल 370 एक अस्थायी प्रावधान था। भारत का सर्वोच्च न्यायालय कहता है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया है, जैसा कि अनुच्छेद 1 और 370 में परिलक्षित होता है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि याचिकाकर्ताओं का यह तर्क कि केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य में अपरिवर्तनीय परिणामों वाली कार्रवाई नहीं कर सकती, स्वीकार्य नहीं है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति की घोषणा की वैधता पर फैसला देने की जरूरत नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने इसे चुनौती नहीं दी है।