धांधली, कमीशनखोरी और गिरोहबाजी से जूझता पहाड़ी राज्य

उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत जारी कार्यों में भारी भ्रष्टाचार और माफियागीरी के आरोप सामने आ रहे हैं। एक प्रतिष्ठित सरकारी योजना में एनपीसीसी नामक बाहरी कंपनी को करोड़ों रुपये के निर्माण कार्य सौंपे गए, जिनमें व्यापक अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं। सूत्रों के अनुसार, एनपीसीसी के उत्तर जोन का इंचार्ज मोहम्मद मनसब नामक व्यक्ति बाहरी राज्यों के बदनाम और माफिया प्रवृत्ति के ठेकेदारों को उत्तराखंड में काम दे रहा है, जिससे स्थानीय पेटी ठेकेदारों और निवासियों में भारी असंतोष व्याप्त है।
उल्लेखनीय है कि चमोली जनपद के पोखरी विकासखंड स्थित जोराशी से तोणजी तक सड़क निर्माण कार्य एनपीसीसी को दिया गया था, जिसे बाद में बुलन्दशहर के ठेकेदार धर्मेन्द्र चौधरी को उपकार्य के रूप में सौंप दिया गया। इसके बाद धर्मेन्द्र चौधरी ने यह कार्य एक स्थानीय ठेकेदार अनिल रावत को ट्रांसफर कर दिया। विगत ढाई वर्षों से इस सड़क निर्माण कार्य में भारी लापरवाही बरती जा रही है। नाली निर्माण, पत्थर बिछाने और कटिंग जैसे कार्य आधे-अधूरे पड़े हुए हैं। इस पूरे कार्य में कमीशनबाजी और ठेका वितरण में “प्रतिशत” के खेल का आरोप सामने आया है, जिससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।
स्थानीय ठेकेदारों और नागरिकों का आरोप है कि यह पूरा मामला सुनियोजित तरीके से चलाए जा रहे भ्रष्टाचार और माफियातंत्र का हिस्सा है। मोहम्मद मनसब और उसके सहयोगी धर्मेन्द्र चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं कि वे एनपीसीसी के नाम पर प्रदेश में ठेके दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये की डीलिंग कर रहे हैं और स्थानीय लोगों को वाजिब काम से वंचित कर रहे हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि मोहम्मद मनसब का संबंध एक बड़े गिरोह से है जिसमें मोहम्मद आजम नामक एक अन्य व्यक्ति प्रमुख भूमिका निभा रहा है। आरोप है कि यह गिरोह उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों में भी सक्रिय है और जेहादी एजेंडे पर काम कर रहा है।
जोराशी तोणजी सड़क की गुणवत्ता पूरी तरह से गिर चुकी है, जिससे आम जनता को आवागमन में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इस पूरे प्रकरण को लेकर स्थानीय जनता, ठेकेदार यूनियन, और किसान संगठनों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। किसान नेता एवं प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा ने इसे माफियागर्दी और भ्रष्टाचार का गंभीर मामला करार दिया है और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह मामला सिर्फ एक ठेकेदार का नहीं, बल्कि सैकड़ों स्थानीय पेटी ठेकेदारों और आम जनता के अधिकारों का है, जिसे कुछ भ्रष्ट अधिकारी और बाहरी दलाल मिलकर कुचल रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों और ठेकेदारों ने सरकार से मांग की है कि बुलन्दशहर के ठेकेदार धर्मेन्द्र चौधरी और एनपीसीसी के अधिकारी मोहम्मद मनसब पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए और उत्तराखंड में इनकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जाए। साथ ही एनपीसीसी जैसी कंपनी को राज्य में ब्लैकलिस्ट किया जाए जो बाहरी ठेकेदारों को संरक्षण देकर स्थानीय लोगों के हक में कटौती कर रही है।
इस मुद्दे को लेकर पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन और आंदोलन की तैयारी की जा रही है। पीड़ित ठेकेदारों को न्याय दिलाने के लिए एनपीसीसी का घेराव और भ्रष्ट तंत्र का पुतला दहन कार्यक्रम चलाया जाएगा। आंदोलनकारी नेताओं का कहना है कि राज्य का पैसा, काम और संसाधन राज्य के लोगों को मिलने चाहिए। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन सपनों के साथ उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी, आज वही राज्य भ्रष्टाचार और माफियातंत्र का अड्डा बनता जा रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों की सैकड़ों सड़क परियोजनाएं धांधली और लापरवाही का शिकार हो चुकी हैं।
जनता से अपील की गई है कि वे इस अन्याय और भ्रष्टाचार के विरुद्ध एकजुट होकर आवाज उठाएं और उत्तराखंड को माफियाओं और भ्रष्टाचारियों से मुक्त कराएं। यह समय है जब राज्य की अस्मिता, संसाधनों और अधिकारों की रक्षा के लिए एक जनांदोलन खड़ा किया जाए ताकि उत्तराखंड में पारदर्शी, जवाबदेह और स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने वाला शासन स्थापित हो सके।