
देहरादून : वरिष्ठ समाजसेवी और राजनेता रविंद्र सिंह आनंद ने भारतीय जनता पार्टी की ओर से हाल ही में जारी प्रदेश संगठन की सूची पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने प्रदेश संगठन की नई सूची में सिख समाज की पूरी तरह से अनदेखी की है, जबकि सिख समाज हमेशा से पार्टी और समाज सेवा में अग्रणी भूमिका निभाता आया है।
आनंद ने अपने बयान में कहा कि सिख समाज ने हर चुनाव में तन, मन और धन से भाजपा का साथ दिया और पार्टी को मजबूत करने में अहम योगदान दिया। लेकिन जब उस समाज को प्रतिनिधित्व देने का समय आया तो पार्टी ने आंखें फेर ली। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भाजपा की नजरों में प्रदेश के सिख समाज में ऐसा कोई योग्य व्यक्ति नहीं है जो प्रदेश स्तर की राजनीति में काम कर सके?
उन्होंने कहा कि यह निर्णय भाजपा के चाल, चरित्र और चेहरे को उजागर करता है। उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि भाजपा में ऐसे सैकड़ों सिख कार्यकर्ता हैं जो दिन-रात पार्टी की सेवा में लगे हुए हैं, लेकिन संगठन में उन्हें कोई स्थान नहीं दिया गया।
रविंद्र सिंह आनंद ने आगे कहा कि देहरादून और उधम सिंह नगर जैसे क्षेत्रों को बसाने में सिख समाज की विशेष भूमिका रही है। उन्होंने याद दिलाया कि सिख समाज ने हमेशा देश के लिए बलिदान दिए हैं और शहादत देकर देश की रक्षा की है। ऐसे समाज की अनदेखी केवल दुखद ही नहीं बल्कि गंभीर विषय है।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अब सिख बिरादरी को आत्ममंथन करने की आवश्यकता है। उन्होंने समाज से आह्वान किया कि वे इस विषय पर विचार करें और उचित कदम उठाएं। आनंद ने घोषणा की कि वे जल्द ही एक बड़ी बैठक बुलाकर पूरे सिख समाज को एकत्रित करेंगे और इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि सिख समाज भाजपा का अभिन्न हिस्सा रहा है और हमेशा पार्टी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है। ऐसे में यदि पार्टी सिखों की उपेक्षा करती है तो इसका गहरा प्रभाव समाज के मनोबल पर पड़ेगा। उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि यदि सिख समाज की अनदेखी का यह सिलसिला जारी रहा तो पार्टी को भविष्य में राजनीतिक स्तर पर इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
रविंद्र सिंह आनंद के इस बयान ने प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। जहां एक ओर सिख समाज भाजपा संगठन की सूची में उपेक्षा से आहत है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया गया तो यह भाजपा के लिए आगामी चुनावों में चुनौती बन सकता है।