
देहरादून : हिंदी दिवस के अवसर पर भारतीय-नॉर्वेजियन सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर से एक विशेष आयोजन किया गया, जिसमें साहित्य, संस्कृति और समाज सेवा से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। इस कार्यक्रम की सबसे विशेष बात यह रही कि फोरम के अध्यक्ष श्री सुरेश चंद्र शुक्ला ने पद्मश्री डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय को ‘स्पाइल संस्कृति सम्मान’ से सम्मानित किए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि डॉ. संजय ने साहित्य, संस्कृति और सामाजिक चेतना के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करके न केवल भारत का नाम रोशन किया है, बल्कि प्रवासी भारतीय समाज को भी प्रेरित किया है।
इस अवसर पर पद्मश्री डॉ. संजय ने अपनी स्वरचित कविता “विकसित भारत ध्येय हमारा” का पाठ किया। उनकी कविता ने उपस्थित लोगों के हृदय को गहराई से स्पर्श किया। उन्होंने सभी भारतीय मूल के नागरिकों से आह्वान किया कि वे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए जा रहे विकसित भारत अभियान में सक्रिय भागीदारी करें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्रवासी भारतीय यदि अपने-अपने स्तर पर योगदान दे, तो भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में तेजी लाई जा सकती है। उनका संदेश था कि मातृभूमि की सेवा करना ही प्रवासी भारतीयों का सबसे बड़ा धर्म और कर्तव्य है।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. गौरव संजय ने स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखने के लिए व्यावहारिक और उपयोगी सुझाव दिए। उन्होंने बताया कि घर में पर्याप्त रोशनी का होना, सीढ़ियों पर रेलिंग लगाना, स्नानघर में फिसलन से बचाव के उपाय करना, और कैल्शियम व विटामिन-डी से भरपूर आहार लेना जरूरी है। उन्होंने विशेष रूप से वृद्धजनों को सचेत करते हुए कहा कि बर्फबारी के समय फिसलन से बचाव के उपाय करना अनिवार्य है, क्योंकि कूल्हे का फ्रैक्चर एक आम लेकिन गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिसका प्रभाव जीवन पर दीर्घकालिक और घातक हो सकता है। उनके विचारों ने कार्यक्रम को स्वास्थ्य जागरूकता की दिशा में भी सार्थक बना दिया।
हिंदी दिवस के इस कार्यक्रम में नॉर्वे में निवास करने वाले बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग शामिल हुए। इनमें हिंदी, उर्दू, तेलुगु, तमिल, पंजाबी सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे। सभी ने पद्मश्री डॉ. संजय का हृदय से स्वागत किया और उनके योगदान की सराहना की। कार्यक्रम ने न केवल हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित किया बल्कि प्रवासी भारतीय समुदाय के बीच एकता, संस्कृति और सेवा की भावना को भी मजबूत किया।
इस आयोजन ने साबित किया कि चाहे भारतीय कहीं भी हों, उनकी जड़ें और संस्कार मातृभूमि से गहराई से जुड़े रहते हैं। हिंदी दिवस के इस अवसर पर भारतीय-नॉर्वेजियन समुदाय ने यह संदेश दिया कि भाषा, संस्कृति और सेवा भाव के माध्यम से ही सच्चे अर्थों में भारत को विकसित और मजबूत बनाया जा सकता है।