
( विशेष संवाददाता )
अहमदाबाद : अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण के पावन सान्निध्य एवं प्रेरणा से आयोजित अणुव्रत लेखक सम्मेलन साहित्य, संयम और संस्कार का अद्वितीय संगम बन गया। देशभर से आए प्रख्यात साहित्यकारों, चिंतकों, विद्वानों और अणुव्रत प्रेरकों की उपस्थिति ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।
प्रेक्षा विश्व भारती, अहमदाबाद के प्रांगण में आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में साहित्य के विविध आयामों पर सारगर्भित विचार-विमर्श हुआ । उद्घाटन सत्र में वक्ताओं ने कहा कि आज के समय में अणुव्रत दर्शन समाज को नैतिक पुनर्जागरण की दिशा दिखा सकता है, और लेखक वर्ग इसकी धुरी बन सकता है।
कार्यक्रम के प्रमुख आकर्षण में अणुव्रत में हिंदी साहित्य के वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री रघुवीर चौधरी को सम्मानित किया गया। सम्मेलन में “संतवाणी और कवि स्वर ” काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। परिवार और प्रकृति साथ चले साथ खिले विषय के विभिन्न पहलुओं एवं “नैतिकता और लेखन”, “अणुव्रत और समकालीन सृजन” जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण गोष्ठियाँ हुईं।
अणुव्रत लेखक मंच के संयोजक जिनेन्द्र कोठारी ने बताया कि इस सम्मेलन का उद्देश्य साहित्य के माध्यम से अणुव्रत के संदेश को जन-जन तक पहुँचाना है। सम्मेलन में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण , साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभाजी, साध्वी वर्या संबद्ध यशा जी, मुनि डॉ मदन कुमार , मुनि कुमार श्रमण एवं अणुव्रत के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि मनन कुमार का पावन पाथेय प्राप्त हुआ।
इस सम्मेलन में आचार्य सहित अनेक विद्वानों ने अपने अपने विचार व्यक्त किए । भारत के १० प्रांतों और ३१ शहरों से आये साहित्यकारों ने विभिन्न विषयों पर संवाद और परिचर्चा की ।
सांस्कृतिक सत्र में कवि सम्मेलन और साहित्यक गोष्ठी का भी आयोजन हुआ जिसमें देश के विभिन्न प्रांतों से आए कवियों ने संयम, मानवीयता और नैतिकता पर आधारित रचनाएँ प्रस्तुत कीं ।
अंतिम सत्र में उपस्थित सभी प्रतिभागियों ने सम्मेलन का प्रस्ताव पास कर यह संकल्प लिया कि वे अपने लेखन के माध्यम से अणुव्रत के आदर्शों को समाज में जीवंत बनाएँगे।