
नई दिल्ली: भारत के लौह पुरुष और देश की एकता के निर्माता सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती इस वर्ष विशेष भव्यता के साथ मनाई जा रही है। 31 अक्टूबर को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय एकता दिवस, देश की अखंडता, एकजुटता और समरसता का प्रतीक है। यह दिवस उन असाधारण प्रयासों को स्मरण करने का अवसर है, जिनके माध्यम से सरदार पटेल ने आज़ाद भारत को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया था। उन्होंने 565 रियासतों को भारत संघ में मिलाकर एक मजबूत और अखंड राष्ट्र की नींव रखी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिकों से इस अवसर पर ‘रन फॉर यूनिटी’ यानी एकता दौड़ में भाग लेने का आह्वान किया है।
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर संदेश साझा करते हुए कहा कि 31 अक्टूबर को सभी लोग एकजुटता की भावना का उत्सव मनाएँ और सरदार पटेल के अखंड भारत के दृष्टिकोण को सम्मान दें। प्रधानमंत्री स्वयं गुजरात के केवड़िया में स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ परिसर में राष्ट्रीय एकता दिवस परेड का नेतृत्व करेंगे। सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। वे एक प्रखर स्वतंत्रता सेनानी, कुशल प्रशासक और स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री एवं उप प्रधानमंत्री थे। आज़ादी के बाद देश के एकीकरण की जटिल प्रक्रिया में उनकी निर्णायक भूमिका ने उन्हें “भारत का लौह पुरुष” बना दिया। उनका राजनीतिक दृष्टिकोण व्यावहारिक था—वे सिद्धांतों से अधिक राष्ट्रहित पर केंद्रित रहते थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने हालिया ‘मन की बात’ संबोधन में कहा कि इस बार राष्ट्रीय एकता दिवस इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह सरदार पटेल की 150वीं जयंती का अवसर है। देशभर में इस दिन एकता दौड़, परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन आयोजनों का उद्देश्य युवाओं में एकता और देशभक्ति की भावना को सुदृढ़ करना है। सरदार पटेल को भारत के राजनीतिक इतिहास में अक्सर एक सख्त और निर्णायक नेता के रूप में देखा गया है।
वे गांधी और नेहरू की तरह धार्मिक या वैचारिक प्रतीक नहीं थे, बल्कि एक व्यवहारिक राष्ट्रनिर्माता थे जिन्होंने भारत की प्रशासनिक और राजनैतिक रीढ़ को मजबूत किया। इतिहासकारों का मानना है कि उन्हें कभी-कभी “मुस्लिम विरोधी” कहकर गलत रूप में प्रस्तुत किया गया, जबकि वास्तविकता यह है कि वे देश की अखंडता और स्थायित्व के प्रति प्रतिबद्ध नेता थे। आज जब भारत उनकी 150वीं जयंती मना रहा है, तब यह दिवस केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि उस दृष्टिकोण की पुनर्पुष्टि भी है जिसमें भारत विविधता में एकता का प्रतीक बनकर खड़ा है। राष्ट्रीय एकता दिवस हर भारतीय को यह स्मरण कराता है कि सरदार पटेल का सपना एक ऐसे राष्ट्र का था जहाँ धर्म, जाति या भाषा से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हो।






