
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) ने अल-फलाह विश्वविद्यालय को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर गलत मान्यता प्रदर्शित करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अधिकारियों ने बताया कि यह विश्वविद्यालय हाल ही में दिल्ली विस्फोट जांच के दायरे में आया है।
यह कार्रवाई 10 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के पास हुए उच्च-तीव्रता वाले विस्फोट के कुछ दिनों बाद की गई है, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। इस विस्फोट ने राजधानी को दहला दिया था। बताया गया कि यह घटना उस समय हुई जब अधिकारियों ने अल-फ़लाह विश्वविद्यालय से जुड़े तीन डॉक्टरों सहित कई लोगों से जुड़े एक सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफ़ाश किया था। इन डॉक्टरों को बाद में गिरफ़्तार कर लिया गया था।
एनएएसी ने अपने नोटिस में कहा कि उसने पाया है कि अल-फ़लाह विश्वविद्यालय, जो न तो मान्यता प्राप्त है और न ही परिषद के पास किसी मान्यता के लिए आवेदन किया है, उसने अपनी वेबसाइट पर यह भ्रामक जानकारी दी है कि “अल-फ़लाह विश्वविद्यालय, अल-फ़लाह चैरिटेबल ट्रस्ट का एक उपक्रम है, जो परिसर में तीन कॉलेज चला रहा है।” परिषद ने विश्वविद्यालय से इस गलत दावे पर स्पष्टीकरण मांगा है।
वहीं, 10 नवंबर को हुए लाल किला विस्फोट की जांच जारी है। सोमवार शाम करीब 6:52 बजे लाल किले के पास एक हुंडई i20 कार में भीषण विस्फोट हुआ, जिसने पूरे इलाके में अफरा-तफरी मचा दी। धमाका इतना तेज था कि आसपास खड़ी कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं और मौके पर मौजूद लोगों में भगदड़ मच गई। मौके से बरामद तस्वीरों में क्षत-विक्षत शव, जली हुई गाड़ियां और मलबा साफ़ दिखाई दे रहा था।
पुलिस जांच में सामने आया है कि उमर नामक व्यक्ति, जो विस्फोटकों से भरी कार चला रहा था, घटना वाले दिन दिल्ली के कई इलाकों में सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड हुआ। सुरक्षा एजेंसियां अब इस मामले की कड़ियों को जोड़ने में जुटी हैं और यह जांच कर रही हैं कि क्या इस विस्फोट और अल-फ़लाह विश्वविद्यालय से जुड़े गिरफ्तार डॉक्टरों के बीच कोई सीधा संबंध है।







