
देहरादून : जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पर मोटर कैब वाहनों से “Commercial Pickup Charge / Commercial Entry Fee” के नाम पर की जा रही वसूली को अब गंभीर कानूनी चुनौती मिल गई है। पर्वतीय वाहन समर्थन समिति के उपाध्यक्ष अमित सिंह की ओर से अधिवक्ता मिहिर राज सिंह ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (AAI) और पार्किंग लाइसेंसी Headway Industries को विधिक नोटिस भेजा है, जिसमें इस वसूली को पूर्ण रूप से अवैध और नियम-विरुद्ध बताया गया है। नोटिस के अनुसार मोटर कैब, Motor Vehicles Act, 1988 के तहत सार्वजनिक सेवा वाहन (Public Service Vehicle) है, जिसे यात्रियों को ढोने के लिए अधिकृत किया गया है। ऐसे में इसे मालवाहक या Freight Vehicle की श्रेणी में रखकर “Commercial Pickup Charge” लगाना गलत वर्गीकरण है, जो कानून के अनुरूप नहीं है।
नोटिस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि एयरपोर्ट परिसर में किसी भी प्रकार का एंट्री, पिकअप या पार्किंग शुल्क तभी वैध माना जाता है जब वह AAI द्वारा अनुमोदित, AERA द्वारा स्वीकृत और एयरपोर्ट परिसर में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित टैरिफ सूची में दर्ज हो। उपलब्ध दस्तावेजों से यह स्पष्ट होता है कि मोटर कैब पर वसूला जा रहा यह शुल्क किसी भी स्वीकृत टैरिफ सूची का हिस्सा नहीं है, जिससे यह वसूली मनमानी और गैर-वैधानिक प्रतीत होती है।
समिति की ओर से AAI और Headway Industries से यह भी पूछा गया है कि यदि इस तरह की वसूली के लिए कोई अधिकृत आदेश जारी किया गया है तो उसका Rate Approval Letter, AERA की स्वीकृति, लाइसेंस एग्रीमेंट और अन्य दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएँ। यदि किसी प्रकार की अनुमति उपलब्ध नहीं है, तो इस शुल्क को “Unauthorized Levy” और “Unfair Trade Practice” मानते हुए तत्काल प्रभाव से रोकने की मांग की गई है। साथ ही Headway Industries से इस शुल्क की पूरी अवधि का ऑडिटेड विवरण प्रस्तुत करने तथा प्रभावित टैक्सी संचालकों को रिफंड देने की प्रक्रिया सुनिश्चित करने की मांग भी रखी गई है।
विधिक नोटिस में AAI और लाइसेंसी से 15 दिनों के भीतर प्रमाण सहित जवाब देने को कहा गया है। समय सीमा में उत्तर न मिलने पर समिति AERA, BCAS, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और अन्य सक्षम प्राधिकरणों में व्यापक कानूनी कार्रवाई आरंभ करेगी, जिसकी जिम्मेदारी संबंधित संस्थाओं पर होगी।पर्वतीय वाहन समर्थन समिति ने कहा है कि टैक्सी व मोटर कैब संचालकों के अधिकारों से किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा और अवैध वसूली व मनमानी के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा।





