आम बजट 2022 पेश करते हुए वित्तमंत्री ने अपने भाषण में देश में डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना की बात कही है। सही बात है कि सरकार का यह फैसला शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ ही कोरोना काल में शैक्षणिक संस्थानों के बंद होने से पढ़ाई में हुए नुकसान को देखते हुए लिया गया है।
आपको बता दें कि सरकार के इस फैसले को लेकर गली-गली खासी चर्चा भी रही है। गौरतलब है कि सबसे ज्यादा गरीब तबका हलकान है। इन लोगों का कहना है कि हमारे बच्चों के पास पढ़ने के लिए मोबाइल नहीं है और सरकार बात डिजिटल विवि बनाने की कर रही है। रिसोर्सेज विहीन कई बच्चे बीच में ही स्कूल छोड़कर कूड़ा बीनने को मजबूर हैं। ऐसे में सरकार को पहले गरीब तबके को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना होगा तभी सरकार का डिजिटल विश्वविद्यालय का उद्देश्य साकार हो सकेगा।
बजट के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि पीएमई.विद्या योजना के तहत एक चैनल एक क्लास को 12 से 200 टीवी चैनल तक बढ़ाया जाएगा। अब आप जरा गौर करिये स्कूल छोड़कर कबाड़ बीनने वाले बच्चों का कहना है कि हर घर टीवी नहीं खरीद सकता है। बच्चों के माता.पिता का कहना है कि सरकार को पहले गरीबों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना होगा तभी इन योजनाओं का फायदा उन्हें मिल पाएगा।
उन्होंने बताया कि मेरा बड़ा लड़का भी कबाड़ बीनता है क्योंकि लॉकडाउन के बाद से स्कूल नहीं गया है। हम अभी डिजिटल शिक्षा के लिए टीवी या मोबाइल खरीदने की स्थिति में नहीं है। मेरे एक बच्चे ने पांचवीं और दूसरे ने आठवीं के बाद पढ़ना ही छोड़ दिया। वहीं एक बच्ची का कहना है कि मेरे परिवार तंगी के हालात में जीवन गुजार रहा है कि खाने के लिए दो वक्त रोटी तक नहीं है। ऐसे में पढ़ने के लिए मोबाइल,टीवी कैसे आएगी।
फिल्हाल मैं पढ़ाई छोड़कर पेन बेच रही हूं। मैं पढ़ना चाहती हूं इसलिए पेन का साथ नहीं छोड़ा है। बच्ची की मां का कहना है कि उम्मीद है एक बजट ऐसा भी आएगा जिसमें जिन बच्चों के पास मोबाइल और टीवी नहीं है उनकी सहायता की जाएगी। जिन बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है वह फिर से दाखिला पा सकेंगे। उन्होंने कहा कि डिजिटल विवि का सपना तभी साकार होगा जब संसाधनों के अभाव को दूर किया जाएगा। देश में कितने बच्चों के पास पढ़ाई के लिए मोबाइल या टीवी की सुविधा है इसका जवाब सरकार के पास भी नहीं है।