देहरादून : इस वक्त राजधानी देहरादून में सड़कों का जो हाल है वो किसी से भी छिपा नहीं है। साल 2000 में जब उत्तराखंड राज्य का सृजन हुआ था तब देहरादून को उत्तराखण्ड की अस्थायी राजधानी बनाया गया था। साल 2000 में देहरादून में तकरीबन तीन से साढ़े तीन लाख वाहन पंजीकृत थे अब यह संख्या बढ़कर करीब 10 लाख तक पहुंच गई है।
फिर ऐसे में हम सड़कों की तरफ देखें तो तो महज 12 से 20 फीसद सड़कें ही चौड़ी हो पाई हैं। उच्च न्यायालय के आदेश पर चलाए गए अतिक्रमण हटाओ अभियान में सड़कों का जो हिस्सा खाली कराया गया था उसे भी सड़क के रूप में अब तक तब्दील नहीं किया जा सका है।
यही वजह है कि राजधानी दून की मुख्य सड़कों से लेकर कालोनियों तक जाम जैसे हालात बने रहते है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि देहरादून स्मार्ट सिटी कंपनी की ओर से सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर की सड़कों को बच्चों व यात्रा के अनुकूल बनाने की कवायद की जा रही है।
इस संबंध में जिलाधिकारी व स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ डा0 आर राजेश कुमार ने सिटी प्रोजेक्ट को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक ली। उन्होंने कहा कि शहर की सड़कों को सुगम बनाने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों, महापौर, शहरवासियों व व्यापारियों से सुझाव प्राप्त किए जाएं ताकि सड़कों का विकास बच्चों व बुजुर्ग नागरिकों की सुविधा के हिसाब से किया जा सके।