
मुंबई: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता सतीश शाह के निधन की खबर ने फिल्म इंडस्ट्री और उनके चाहने वालों को गहरे दुख में डाल दिया है। 74 वर्ष की उम्र में उनका जाना एक ऐसे कलाकार का जाना है जिसने हास्य और अभिनय की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई थी। सतीश शाह का नाम आते ही दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी, क्योंकि उन्होंने अपने करियर में ऐसे कई किरदार निभाए, जो आज भी दर्शकों की यादों में ताज़ा हैं।
सतीश शाह का जन्म 25 जून 1951 को हुआ था। अभिनय की दुनिया में उनका सफर आसान नहीं था, लेकिन उनकी प्रतिभा और मेहनत ने उन्हें धीरे-धीरे ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत रंगमंच से की थी और थिएटर में काम करते हुए उन्होंने अभिनय की बारीकियों को गहराई से समझा। इसके बाद उन्होंने टीवी और फिल्मों में कदम रखा, जहां उनका जादू चल गया।
फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ ने उन्हें दर्शकों के बीच अमर कर दिया। इस फिल्म में उनका किरदार ‘मुंशीजी’ का था, जो आज भी भारतीय सिनेमा के सबसे यादगार हास्य पात्रों में गिना जाता है। यह फिल्म व्यंग्य और कॉमेडी का ऐसा संगम थी, जिसने सतीश शाह को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया। इसके बाद उन्होंने ‘येस बॉस’, ‘कल हो ना हो’, ‘मैं हूं ना’, ‘फना’, ‘हम आपके हैं कौन’, ‘साजन’ जैसी फिल्मों में शानदार किरदार निभाए और हर बार दर्शकों को हंसाया भी, रुलाया भी।
टीवी की दुनिया में सतीश शाह का योगदान भी कम नहीं था। 1980 और 1990 के दशक में उनका शो ‘ये जो है जिंदगी’ बेहद लोकप्रिय हुआ था। इसमें उनके हास्य अभिनय ने घर-घर में उन्हें पहचान दिलाई। बाद में वह ‘साराभाई वर्सेस साराभाई’ जैसे हिट शो में ‘इंद्रवदन साराभाई’ के किरदार में नज़र आए, जो आज भी भारतीय टेलीविज़न के सबसे प्रिय किरदारों में से एक माना जाता है। उनके इस शो के संवाद, अंदाज़ और हास्य-शैली ने उन्हें अमर कर दिया।
सतीश शाह अपने सहकर्मियों के बीच न केवल एक उम्दा अभिनेता बल्कि बेहद मिलनसार इंसान के रूप में जाने जाते थे। उनकी दोस्ती अनुपम खेर, परेश रावल, बोमन ईरानी, फारुख शेख और नसीरुद्दीन शाह जैसे कलाकारों के साथ बेहद गहरी थी। अक्सर फिल्म सेट पर उनका माहौल हंसी-मजाक से भर जाता था, और यही उनकी खासियत थी — हर किसी के चेहरे पर मुस्कान लाना।
अपने लंबे करियर में उन्होंने 200 से अधिक फिल्मों में काम किया। चाहे कॉमेडी हो, भावनात्मक दृश्य हों या गंभीर किरदार — उन्होंने हर भूमिका में अपनी छाप छोड़ी। सतीश शाह का अभिनय सहज, स्वाभाविक और जीवंत था। यही वजह थी कि दर्शक उन्हें हर रूप में स्वीकार करते थे।
फिल्म जगत के कई दिग्गजों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। अनुपम खेर ने लिखा कि उन्होंने सिर्फ एक दोस्त नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान को खो दिया जो हर पल ज़िंदगी को मुस्कुराहट में बदल देता था। वहीं बोमन ईरानी ने कहा कि सतीश शाह का जाना कॉमेडी और संवेदनशील अभिनय के बीच की एक पुल के ढहने जैसा है।
सतीश शाह के चाहने वालों के लिए यह खबर किसी सदमे से कम नहीं। वह न सिर्फ फिल्मों और टीवी के ज़रिए लोगों के दिलों में बसे रहे, बल्कि अपने विनम्र स्वभाव और सकारात्मक ऊर्जा से हर किसी को प्रेरित करते रहे। आज भले ही वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके निभाए किरदार, उनका अंदाज़ और उनकी मुस्कान हमेशा भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर रहेंगे।
सतीश शाह का जीवन इस बात का प्रतीक है कि सच्चा कलाकार वही होता है जो अपने काम से लोगों के दिलों को छू सके। उन्होंने वही किया — अपनी हर भूमिका में सच्चाई, हास्य और भावनाओं का ऐसा संगम दिखाया जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल रहेगा।








