
फलोदी : राजस्थान में सड़क हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक के बाद एक दुर्घटनाओं में न जाने कितने घरों के चिराग बुझ चुके हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। जोधपुर से मिली ताज़ा जानकारी के अनुसार, 2 नवम्बर 2025 की सुबह फलोदी जिले के मतोड़ा क्षेत्र में श्रद्धालुओं से भरी एक बस सड़क पर खड़े ट्रेलर से जा टकराई। इस भीषण टक्कर में 18 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यह सभी श्रद्धालु बीकानेर के कोलायत से दर्शन कर जोधपुर लौट रहे थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसा इतना भयानक था कि बस का अगला हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और यात्रियों को निकालने के लिए प्रशासन को बस की बॉडी काटनी पड़ी। मौके पर चीख-पुकार मच गई। स्थानीय लोग और पुलिस तुरंत राहत कार्य में जुट गए और घायलों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया। गंभीर रूप से घायल यात्रियों को जोधपुर रेफर किया गया, जहां उनका इलाज जारी है। डॉक्टरों के अनुसार, कुछ घायलों की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है।
स्थानीय प्रशासन ने घटना की सूचना मिलते ही पुलिस बल और बचाव दल को मौके पर भेजा, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस तरह के हादसे लगातार क्यों हो रहे हैं। जिस ट्रेलर से बस टकराई, वह कथित रूप से सड़क किनारे बिना किसी चेतावनी चिन्ह या लाइट के खड़ा था। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि बस चालक को सामने ट्रेलर का अंदाज़ा नहीं हो पाया और उसने समय रहते ब्रेक नहीं लगाया।
प्रदेशभर में सड़क सुरक्षा को लेकर किए गए तमाम दावे अब फिर एक बार कटघरे में हैं। पिछले एक महीने में राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में हुई दुर्घटनाओं में दर्जनों लोगों ने अपनी जान गंवाई है, लेकिन न तो सड़कों की खराब हालत सुधरी, न ही ट्रैफिक व्यवस्था में कोई ठोस सुधार हुआ। हर हादसे के बाद प्रशासनिक स्तर पर बयानबाज़ी, सांत्वना और जांच के आदेश दिए जाते हैं, लेकिन नतीजा शून्य ही रहता है।
फलोदी हादसे में मारे गए श्रद्धालुओं के परिवारों में मातम छा गया है। गांवों में हर तरफ शोक की लहर दौड़ गई है। कई परिवारों ने अपने जवान बेटे-बेटियों और बुजुर्गों को एक ही पल में खो दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार और परिवहन विभाग को अब सिर्फ बयान नहीं, बल्कि सख्त कदम उठाने की जरूरत है, क्योंकि हर हादसा एक नई कहानी नहीं, बल्कि प्रशासन की लापरवाही की पुनरावृत्ति बनता जा रहा है।
मतोड़ा हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब तक सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता और प्रशासनिक जवाबदेही नहीं बढ़ेगी, तब तक राजस्थान की सड़कों पर रफ्तार और लापरवाही का यह खतरनाक खेल यूं ही लोगों की जिंदगी लीलता रहेगा।







