सयासी पार्टियों का आचरण ही ऐसा होता है इनकी पाठशाला मे नियम और कानून बनाये जाते और तोड़े जाते हैं बहरहाल दोनो ही पार्टियां हर चुनाव में नई सी.डी. में पुराना राग ही अलाप कर आमजन को दिगभ्रमित करती आई हैं। एक परिवार.एक टिकट, पिता के बाद बेटे को मौका नहीं, महिलाओं की बढ़ती भागीदारी,युवाओं को राजनीति में मौका, जैसे सियासी दलों के दावे हवाई जुमले बनकर रह गए। दोनों दलों के प्रत्याशियों की सूचियां जारी हो चुकी हैं। भाजपा ने आठ और कांग्रेस ने पांच महिलाओं को टिकट दिए। युवा मुख्यमंत्री की अगुवाई में चुनाव लड़ने जा रही भाजपा ने भाजयुमो के एक भी नेता पर भरोसा नहीं जताया जबकि कांग्रेस ने युवा कांग्रेस के दो नेताओं को टिकट दिया है। परिवारवाद के मोह में दोनों ही राजनीतिक दल फंसे नजर आ रहे हैं।
उत्तराखण्ड में भाजपा का सियासी पारा न थमे इस लिहाज से पार्टी हाईकमान ने प्रदेश में युवा कार्ड खेला और युवा मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में युवा सरकार के नारे के साथ चुनावी रण में बिगुल बजा चुकी है। आपको बता दें तकरीबन सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं। लेकिन गौर करने लायक बात है कि इन घोषित प्रत्याशियों में भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेताओं पर पार्टी हाईकमान ने भरोसा नहीं जताया। आपको बता दें कि खुद प्रदेश के मुखिया धामी ख्ुवा मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं बावजूद इसके एक भी युवा मोर्चा नेता को भाजपा ने टिकट नहीं दिया है।
अगर हम बात महिलाओं की करें तो कांग्रेस के मुकाबले भाजपा का स्कोर अच्छा रहा है। आपको बता दें भाजपा ने आठ महिलाओं को मैदान में उतारा है। इनमें केदारनाथ से शैला रानी रावत, कोटद्वार से ऋतु खंडूड़ी नैनीताल से सरिता आर्य, देहरादून कैंट से सविता कपूर, खानपुर से कुंवरानी देवयानी, यमकेश्वर से रेनू बिष्ट, पिथौरागढ़ से चंद्रा पंत, सोमेश्वर से रेखा आर्य के नाम शामिल हैं। सबसे बड़ी बात है परिवारवाद अगर इस नजरिए से देखें तो भाजपा ने अपने एक परिवार.एक टिकट के सिद्धांत का पालन तो किया है लेकिन परिवार में ही टिकट देने की परंपरा से छुटकारा नहीं पा सकी। खानपुर में भाजपा ने विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन की पत्नी कुंवरानी देवयानी को प्रत्याशी बनाया है।
वहीं देहरादून कैंट में कार्यकर्ताओं के विरोध के बीच भाजपा ने दिवंगत विधायक हरबंस कपूर की पत्नी सविता कपूर को टिकट दिया है। पिथौरागढ़ में भाजपा ने दिवंगत वरिष्ठ नेता प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत, सल्ट में दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के भाई महेश जीना, कोटद्वार में पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी, सितारगंज में भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा, काशीपुर में भाजपा के वरिष्ठ नेता व विधायक हरभजन सिंह चीमा के बेटे त्रिलोक सिंह चीमा को टिकट देकर यह बात आईने की तरह साफ हो गया कि भाजपा परिवार में ही राजनीतिक विरासत संभालने की पंरपरा से पीछा नहीं छुड़ा पाई है।
अब बात करें कांग्रेस की तो एक परिवार.एक टिकट के दावे के साथ करने वाली कांग्रेस भी इससे बच नहीं पाई। खुद जिन पूर्व सीएम हरीश रावत के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा है, उनकी ही बेटी को टिकट दे दिया गया। हालांकि युवाओं के मामले में कांग्रेस ने अपने युवा कांग्रेस संगठन पर भरोसा जताया है। महिलाओं के नजरिए से देखें तो कांग्रेस इस बार पांच महिलाओं पर भरोसा जता पाई है जबकि दो महिलाओं के नाम की घोषणा करने के बाद उन्हें सूची से हटा दिया गया।
कांग्रेस ने हरिद्वार ग्रामीण में पूर्व सीएम हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत, मसूरी में गोदावरी थापली, भगवानपुर में ममता राकेश, रुद्रपुर से मीना शर्मा और लैंसडोन से अनुकृति गुसाईं को टिकट दिया है। जबकि हरिद्वार जिले की ज्वालापुर सीट पर बरखा रानी और लालकुआं सीट पर संध्या डालाकोटि का टिकट देने के बाद नाम वापस ले लिया गया। भाजपा की आठ महिला प्रत्याशियों के मुकाबले कांग्रेस ने पांच महिलाओं को टिकट दिए। युवाओं पर भरोसे की बात करें तो कांग्रेस ने दो टिकट युवाओं को दिए हैं। इनमें युवा कांग्रेस कोटे से जयेंद्र चंद रमोला को ऋषिकेश सीट से और ज्वालापुर से रवि बहादुर को टिकट दिया गया।
जहां बात परिवारवाद की हो तो परिवारवाद के मामले में कांग्रेस न तो एक परिवार.एक टिकट के नियम का पालन कर पाई और न ही परिवारवाद से अपने आपको बचा पाई। कैंट सीट पर वैभव वालिया और अभिनव थापर भी युवा कोटे से टिकट चाह रहे थे लेकिन उनके सपने अधूरे रह गये। अब पूर्व सीएम हरीश रावत लालकुआं से लड़ेंगे जबकि उनकी बेटी अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण सीट से चुनाव मैदान में उतारी गई है।
इसके अलावा यशपाल आर्य को बाजपुर से लड़ाया जा रहा है जबकि उनके पुत्र संजीव आर्य को नैनीताल से चुनाव मैदान में उतारा गया है। पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के बेटे नरेंद्र चंद सिंह को पार्टी ने काशीपुर से टिकट दिया है। लैंसडोन विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मंत्री व वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को टिकट दिया है। कुल मिलाकर देखें तो परिवारवाद की छाया से कांग्रेस भी बच नहीं पाई।खैर ि