
देहरादून: यूपी एटीएस ने शंकरपुर निवासी अब्दुल रहमान और डोईवाला की एक युवती मरियम को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। इसके बाद देहरादून पुलिस ने भी सक्रियता दिखाते हुए एसएसपी अजय सिंह के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल गठित किया और जांच के लिए एसटीएफ की तकनीकी मदद भी ली गई। इस दौरान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम की कई संदिग्ध आईडी को चिन्हित किया गया और उनकी डिजिटल ट्रेसिंग की गई।
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि गिरोह सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को निशाना बना रहा था। कारोबारी की बेटी, जो कि रानीपोखरी क्षेत्र की रहने वाली है, इंस्टाग्राम के माध्यम से अब्दुल रहमान के संपर्क में आई थी। प्रारंभिक पूछताछ में युवती ने स्वीकार किया कि वह पिछले कुछ समय से उक्त गिरोह के सदस्यों के संपर्क में थी और उनके द्वारा उसे विभिन्न प्रकार के प्रलोभन दिए जा रहे थे ताकि वह अपना धर्म परिवर्तन कर ले। इसमें महंगे उपहार, आर्थिक सहायता और व्यक्तिगत ध्यान जैसी बातें शामिल थीं। इसके अलावा, इंस्टाग्राम पर ऐसे वीडियो भी दिखाए गए जिसमें उसके धर्म को नीचा दिखाते हुए दूसरे धर्म को श्रेष्ठ बताया जा रहा था।
व्यवहार में बदलाव और मानसिक असमंजस की स्थिति को देख कारोबारी ने अपनी बेटी से सीधे बात की। जब उसे पूरे घटनाक्रम की जानकारी हुई तो उसने पुलिस को शिकायत दी। पिता की शिकायत पर पुलिस ने सहसपुर के शंकरपुर निवासी अब्दुल रहमान, मुजफ्फरनगर के अबु तालिब, दिल्ली के कनॉट प्लेस निवासी अयान और अमन, और गोवा की रहने वाली युवती श्वेता के खिलाफ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस ने इन सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए संबंधित शहरों में टीमें रवाना कर दी हैं।
एसएसपी अजय सिंह के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह भी संकेत मिले हैं कि यह गिरोह केवल एक-दो व्यक्तियों तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक संगठित नेटवर्क के रूप में काम कर रहा था जो देशभर के अलग-अलग हिस्सों से संचालित हो रहा था। इस रैकेट की योजना सोच-समझकर बनाई गई थी, जिसमें सोशल मीडिया को मुख्य हथियार की तरह प्रयोग किया गया।
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इस पूरे मामले में युवती ने अपने बयान में स्वीकार किया कि उसने कुछ समय तक इन लोगों से संवाद बनाए रखा था लेकिन बाद में जब धार्मिक बातों और मानसिक दबाव की स्थिति बढ़ने लगी तो वह असहज महसूस करने लगी। यह भी बताया गया कि आरोपियों ने युवती के धर्म को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां करते हुए कई बार भावनात्मक रूप से प्रभावित करने की कोशिश की।
पुलिस का कहना है कि इस मामले में तकनीकी और साइबर फोरेंसिक की सहायता ली जा रही है ताकि इस गिरोह से जुड़े अन्य सदस्यों की भी पहचान हो सके। पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम से संबंधित जानकारी और डाटा के लिए भी अनुरोध भेजा है ताकि साक्ष्य एकत्र किए जा सकें।
यह घटना न केवल युवाओं को धर्मांतरण जैसे संगीन प्रयासों से सचेत करती है, बल्कि यह भी बताती है कि सोशल मीडिया का प्रयोग किस प्रकार गलत नीयत के लिए किया जा सकता है। पुलिस और प्रशासन अब इस दिशा में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दे रहे हैं और अभिभावकों से भी अपील कर रहे हैं कि वे अपने बच्चों की डिजिटल गतिविधियों पर नजर रखें और किसी भी संदिग्ध संपर्क की स्थिति में तुरंत पुलिस से संपर्क करें।
यह मामला राज्य में धर्मांतरण के खिलाफ कड़ा संदेश देने वाला बन गया है और पुलिस की प्राथमिकता में शामिल कर लिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और पूरे गिरोह को कानून के कटघरे में लाया जाएगा।