
चक्रवात ‘मोन्था’ ने सोमवार को बंगाल की खाड़ी में भीषण रूप धारण कर लिया, जिससे आंध्र प्रदेश और ओडिशा में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। दोनों राज्यों में तटीय इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने का अभियान तेज़ी से चल रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं के साथ यह तूफान आज रात काकीनाडा के पास तट से टकरा सकता है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि सोमवार सुबह यह तूफान मछलीपट्टनम से लगभग 190 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपूर्व और विशाखापत्तनम से 340 किलोमीटर दक्षिण में केंद्रित था। इसके असर से आंध्र प्रदेश और ओडिशा के कई तटीय ज़िलों में भारी बारिश और तेज़ हवाएँ चल रही हैं।
ओडिशा में मलकानगिरी, कोरापुट, रायगढ़ा, गजपति, गंजाम, नबरंगपुर, कालाहांडी और कंधमाल ज़िलों में निचले इलाकों से लोगों को निकाला जा रहा है। 1,400 से अधिक चक्रवात आश्रय स्थलों में लोगों को रखा गया है और भोजन व चिकित्सा जैसी सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। राज्य सरकार ने एनडीआरएफ, ओडीआरएएफ और अग्निशमन सेवा के 140 बचाव दलों को तैनात किया है। प्रशासन ने 30 अक्टूबर तक स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद रखने का आदेश दिया है और सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियाँ रद्द कर दी हैं।
आईएमडी ने मंगलवार के लिए रेड अलर्ट जारी करते हुए चेतावनी दी है कि दक्षिणी ओडिशा के आठ ज़िलों में कहीं-कहीं 20 सेंटीमीटर से अधिक बारिश हो सकती है। वहीं, कालाहांडी, नबरंगपुर, खुर्दा, पुरी और बोलांगीर ज़िलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। प्रशासन ने पर्यटकों को समुद्र तटों से दूर रहने की चेतावनी दी है और सभी बीचों को सील कर दिया गया है।
आंध्र प्रदेश में भी चक्रवात का असर दिखने लगा है। चित्तूर, तिरुपति और काकीनाडा में भारी बारिश और तेज़ हवाओं से सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। नागरी क्षेत्र में बाढ़ का पानी सड़कों पर भर गया है, जिससे यातायात बाधित हुआ। पुलिस ने नदी किनारे के रास्तों को बंद कर दिया है और लोगों को सुरक्षित इलाकों में पहुँचाया जा रहा है। काकीनाडा में समुद्र की लहरें अंदर तक पहुँचने लगी हैं, जिससे तटीय कटाव बढ़ रहा है। कई परिवारों को उप्पाडा और आसपास के गाँवों से निकाला गया है।
ओडिशा सरकार ने 32,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया है। आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने कहा कि राज्य का लक्ष्य “शून्य जनहानि” है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी स्वयं स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में भी चक्रवात का असर मंगलवार से दिखने की संभावना है। कोलकाता, हावड़ा, हुगली, दक्षिण 24 परगना और पूर्व व पश्चिम मेदिनीपुर ज़िलों में भारी बारिश और गरज के साथ छींटे पड़ सकते हैं। हवा की गति 90 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुँच सकती है। प्रशासन ने मछुआरों को समुद्र में न जाने की सख्त हिदायत दी है और सभी तटीय पुलिस थानों को अलर्ट पर रखा गया है।
तमिलनाडु के उत्तरी ज़िलों में भी सोमवार को बारिश हुई। चेन्नई, तिरुवल्लूर और कांचीपुरम में जलभराव की स्थिति बनी रही। उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और राहत कार्यों की समीक्षा की।
चक्रवात के कारण हवाई और रेल यातायात पर भी असर पड़ा है। खराब मौसम के चलते विशाखापत्तनम और चेन्नई के बीच छह उड़ानें रद्द कर दी गईं, जबकि कई ट्रेनों के मार्ग बदले गए या उन्हें बीच में ही रोक दिया गया। इंडिगो एयरलाइंस ने यात्रियों को हवाई अड्डे जाने से पहले उड़ानों की स्थिति जांचने की सलाह दी है।
आईएमडी ने बताया कि ‘मोन्था’ का नाम थाई भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ “सुगंधित फूल” होता है। हालांकि, इस समय यह तूफान तटीय इलाकों के लिए किसी डरावने अनुभव से कम नहीं है। सरकारें पूरी तरह सतर्क हैं और बचाव दल दिन-रात राहत कार्य में जुटे हैं।








